'अब किताब की शक्ल लेगी अयोध्या मामले में अहम सबूत बनी ASI की रिपोर्ट'
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट को एक अहम सबूत के तौर पर पेश किया गया.एएसआई की रिपोर्ट में विवादित ढांचे के नीचे पुरातन मंदिर के अवशेष होने का दावा किया गया है.
नई दिल्ली: केंद्रीय सांस्कृतिक व पर्यटन मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने शनिवार को कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट, जिसका इस्तेमाल अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की तरफ से साक्ष्य के रूप में किया गया, उसे अब आम जनता के लिए किताब के रूप में प्रकाशित किया जाएगा. प्रह्लाद सिंह पटेल ने शनिवार को कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते है, एएसआई रिपोर्ट जिसका इस्तेमाल साक्ष्य के तौर पर अदालत में किया गया, वह जल्द ही आम जनता के लिए किताब के रूप में आएगी."
यह बयान सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र को विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण के लिए तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाने के निर्देश देने के बाद आया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सर्वसम्मति से 1045 पेज का फैसला सुनाया.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सिर्फ 43 मिनटों में भारत के सबसे लंबे मुकदमे का फैसला पढ़ दिया. 40 दिनों की सुनवाई के दौरान इस विवाद से जुड़े सभी पक्षों ने अपनी दलीलें रखी थीं, कोर्ट ने आज उन तमाम दलीलों और सबूतों का जिक्र भी फैसला पढ़ते हुए किया.
2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला को मिली यानी अयोध्या में जन्मस्थान पर ही मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया. मंदिर बनाने की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट को मिलेगी. केंद्र सरकार को 3 महीने में ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया. केंद्र चाहे तो जमीन के हक से बाहर किए गए निर्मोही अखाड़े को मंदिर के ट्रस्ट में जगह दे सकता है. वहीं मुस्लिम पक्ष को किसी और जगह पर 5 एकड़ जमीन देने के लिए कहा गया है.
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