![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/Premium-ad-Icon.png)
Ayodhya Verdict: 1045 पन्नों का है पूरा फैसला, 929 पन्ने एक मत से, 116 पन्नों में एक जज की अलग राय
अयोध्या विवाद पर पूरा फैसला 1045 पन्नों का है, इसमें 929 पन्नें एक मत से हैं जबकि 116 पन्नें अलग से हैं. जिसे मुख्य फैसला कहा जा रहा है उसमें सभी जजों की एक राय है.
![Ayodhya Verdict: 1045 पन्नों का है पूरा फैसला, 929 पन्ने एक मत से, 116 पन्नों में एक जज की अलग राय Ayodhya Verdict complete verdict in 1045 pages 929 pages by one vote separate opinion of a judge in 116 pages Ayodhya Verdict: 1045 पन्नों का है पूरा फैसला, 929 पन्ने एक मत से, 116 पन्नों में एक जज की अलग राय](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/08/02084656/supreme-court-720..jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: अयोध्या विवाद पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन रामलला को दे दी है. पूरा फैसला 1045 पन्नों का है, इसमें 929 पन्नें एक मत से हैं जबकि 116 पन्नें अलग से हैं. एक जज ने फैसले से अलग राय जताई है. अभी जज के नाम का कोई जिक्र नहीं है.
बता दें कि पांचों जजों के बीच जिन मुद्दों पर एक मत था उन्हें 929 पन्नों में जगह दी गई है. जिस एक जज की राय किसी मुद्दे को लेकर अलग थी उनकी बात को अलग से 116 पन्नों में जगह दी गई है. जिसे मुख्य फैसला कहा जा रहा है उसमें सभी जजों की एक राय है.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला की है. कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीन पक्ष में जमीन बांटने का हाई कोर्ट फैसला तार्किक नहीं था. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी वैकल्पिक ज़मीन देना ज़रूरी है.
कोर्ट ने कहा कि ''केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.'' कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले. या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.
अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले पर सुनवाई पूरी हुई थी. 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई हुई थी.
यह भी पढ़ें-
अयोध्या: खाली जमीन पर नहीं बनी थी बाबरी मस्जिद, लेकिन मंदिर था यह बात साबित नहीं की जा सकी- SC
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)