नई दिल्ली: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कहा कि कांग्रेस कोर्ट के निर्णय का सम्मान करती है. पार्टी ने कहा कि हम सभी संबंधित पक्षों व सभी समुदायों से निवेदन करते हैं कि भारत के संविधान में स्थापित ‘‘सर्वधर्म सम्भाव:’’ और भाईचारे के उच्च मूल्यों को निभाते हुए अमन-चैन का वातावरण बनाए रखें. हर भारतीय की जिम्मेदारी है कि हम सब देश की सदियों पुरानी परस्पर सम्मान और एकता की संस्कृति व परंपरा को जीवंत रखें. ये किसी को श्रेय देने का मामला नहीं है.


कांग्रेस कार्यसमिति ने कहा कि राम वचन की मर्यादा के लिए त्याग का प्रतीक हैं, सत्ता के भोग के नहीं. व्यक्ति और दल श्रीराम का इस्तेमाल समय समय पर राजनीति करते आये हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज इसे हमेशा के लिए खत्म कर दिया है. इसी बीच रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ''मैं याद दिलाना चाहता हूं कि ये ज़मीन 1993 में कांग्रेस की सरकार के द्वारा अधिग्रहण की गई थी.''






सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला की है. कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीन पक्ष में जमीन बांटने का हाई कोर्ट फैसला तार्किक नहीं था. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी वैकल्पिक ज़मीन देना ज़रूरी है.


कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.'' कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले. या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.


इस मामले पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने फैसला सुनाया.


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