अयोध्या मामला: जानिए वो 5 मुकदमे जिनपर आज SC सुनाएगा अपना फैसला
अयोध्या मामला: अयोध्या मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में किन-किन सूट पर फैसला सुनाया जाएगा, जानिए.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाएगा. संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर पांच जजों की पीठ ने 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुबह साढ़े दस बजे फैसला सुनाएगी. इसे देखते हुए पूरे देश में सुरक्षा चाक चौबंद कर दी गई है. अब चूकि अयोध्या मामले पर आज फैसला आ जाएगा तो आइए जानते हैं कि इस मामले में कौन-कौन से पक्ष हैं और क्या सूट है जिनपर SC फैसला सुनाएगा.
दरअसल अयोध्या मामले पर हिन्दू पक्ष की मांग है कि विवादित जगह पर मंदिर बने तो वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उन्हें भी जगह चाहिए. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि विवादित जगह पर राम के जन्म स्थान होने का सबूत नहीं है. कोर्ट फैसले में सूट संख्या का जिक्र कर सकता है. इसका मतलब है वाद संख्या, इसलिए सूट यानी वाद संख्या इस केस में कौन-कौन से है इसको जान लेना जरूरी है.
चार सूट जिनपर फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
इस केस में पहला सूट गोपाल सिंह विशारद का है जो 1950 में दाखिल हुआ था. इसमें गोपाल सिंह विसारत जो उस वक्त स्थानीय हिन्दू महासभा के नेता थे. उन्होंने राम की पूजा का अधिकार मांगा था. ऐसे में सूट नंबर एक में मांग है कि उसी जगह पर राम विराजमान रहें और पूजा का अधिकार मिले.
सूट नंबर दो परमहंस रामचंद्र दास ने 5 दिसंबर 1950 में किया था. परमहंस रामचंद्र दास ने मुकदमें में क़रीब-क़रीब वही मांगें रखी थीं जो विशारद के मुक़दमे में थीं. हालांकि इस मुकदमें में केवल एक अंतर था कि इसमें सीपीसी के सेक्शन 80 के तहत नोटिस दिया गया था. बाद में इसे विशारद के मुक़दमे के साथ ही जोड़ दिया गया.
सूट नंबर तीन है निर्मोही अखाड़ा है. इसका मतलब यह हुआ कि सूट नंबर दो के वापस लेने के बाद कोर्ट में सूट नंबर एक के बाद तीन है. निर्मोही अखाड़ा का कहना है कि मंदिर बने लेकिन कंट्रोल हमारा रहे.
सूट नंबर चार सुन्नी वक्फ बोर्ड और तमाम मुस्लिम पक्षों का है. इसमें कहा गया है कि विवादित जगह पर मस्जिद थी और वही रहनी चाहिए. अगर मंदिर को जगह दी भी गई तो उन्हें पूरी तरह से बाहर नहीं किया जा सकता है.
सूट नंबर पांच काफी महत्वपूर्ण है. यह साल 1989 में दाखिल किया गया और इसने पूरे केस का परिदृश्य बदल दिया. यह सूट रामलला विराजमान के नाम से है. इसमें कहा गया है कि रामलला शिशु के रूप में विराजमान है और उनके अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है. विवादित जगह पूरी तरह राम की है. इसी केस में यह भी दावा किया गया है कि श्रीराम जन्मस्थान भी एक व्यक्ति है और उसका भी बंटवारा नहीं कर सकते हैं.
इससे अब आपको साफ हो गया होगा कि आज जो सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने वाला है वो इन्ही चार सूट यानी वाद पर सुनाएगा.