नई दिल्ली: कई दशक से चले आ रहे राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला को दे दी है. वहीं कोर्ट ने 5 एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी कहीं और देने की बात कही है. साथ ही फैसले में कई बड़ी बातें कही गई. आइए जानते हैं आखिरकार कोर्ट ने अपने फैसले में क्या-क्या कहा है.
1-सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि जमीन रामलला को दी जाती है. वहीं सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ की जमीन कहीं और दी जाए. फैसला आस्था के आधार पर नहीं कानून के आधार पर है.
2-कोर्ट ने एक पक्षकार गोपाल विशारद को पूजा-पाठ का अधिकार दिया. हालांकि कोर्ट ने कहा कि आस्था के आधार पर मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता है.
3-सुप्रीम कोर्ट ने केस नंबर 1501, शिया बनाम सुन्नी वक्फ बोर्ड केस में एक मत से फैसला किया. इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया गया. कोर्ट ने 1946 का फैसला बरकरार रखा.
4-कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद के नीचे जो एक संरचना पाई गई वो इस्लामिक नहीं थी. पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता है. अंदर के चबूतरे पर कब्ज़े को लेकर गंभीर विवाद रहा है. 1528 से 1556 के बीच मुसलमानों ने वहां नमाज़ पढ़े जाने का कोई सबूत पेश नहीं किया. वहीं बाहर के चबूतरे पर मुसलमानों का कभी कब्जा नहीं रहा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी. नीचे विशाल रचना थी, वह रचना इस्लामिक नहीं थी. वहां मिली कलाकृतियां भी इस्लामिक नहीं थी.
5-बाहरी स्थान का इस्तेमाल हमेशा हिन्दुओं द्वारा हुआ है. कई ऐतिहासिक यात्रा वृतांत भी इस बात की ओर संकेत करता है. इससे पता चलता है कि राम का जन्म अयोध्या में ही हुआ. हिन्दुओं की आस्था को लेकर कोई विवाद नहीं है.
6-जज ने कहा है कि कोर्ट को देखना है कि एक व्यक्ति की आस्था दूसरे का अधिकार न छीने. मस्ज़िद साल 1528 की बनी बताई जाती है, लेकिन कब बनी इससे फर्क नहीं पड़ता. दिसंबर को मूर्ति रखी गयी. जगह नजूल की ज़मीन है. लेकिन राज्य सरकार हाई कोर्ट में कह चुकी है कि वह ज़मीन पर दावा नहीं करना चाहती.
7-सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार ट्रस्ट मैनेजमेंट के नियम बनाए. मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए. मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले. या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे. हम अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम पक्ष को ज़मीन दे रहे हैं. सरकार ट्रस्ट में निर्मोही को भी उपयुक्त प्रतिनिधित्व देने पर विचार करे.
बता दें कि इससे पहले 40 दिनों तक चली सुनवाई के बाद आज कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन रामलला को दे दी है. पूरा फैसला 1045 पन्नों का है, इसमें 929 पन्नें एक मत से हैं जबकि 116 पन्नें अलग से हैं.