मुंबई: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उसपर लगातार देश के राजनेता अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. इस क्रम में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि वे देश के लोगों से अपील करते हैं कि सभी इस फैसले का सम्मान करें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसको मंदिर जाना है या नहीं, ये उसका व्यक्तिगत अधिकार है.


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शरद पवार ने कहा, ‘’पिछले कई सालों से देश के सामने अयोध्या का मामला था. बाबरी मस्जिद के समय गंभीर परिस्थिति थी. मैं तब केंद्र मे था उसके बाद मुझे मुंबई भेजा गया. मैं इस देश के सभी लोगों को अपील करता हूं कि सभी को इसका सम्मान करना चाहिए. किसको मंदिर जाना है या नहीं ये उसका व्यक्तिगत अधिकार है. देश में शांति बनी रहे, भाईचारा बना रहे ये होना चाहिए. ये देश की बात है. लॉ एंड आर्डर का प्रश्न है.’’


महाराष्ट्र की मौजूदा सियासी हालात पर दिया ये बयान


इसके साथ ही महाराष्ट्र की मौजूदा सियासी हालात पर उन्होंने कहा कि राज्य में बीजेपी और शिवसेना को सरकार बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जिन्हें मैंडेट मिला है उसको सरकार बनानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘देखते हैं कि कब सरकार बनाएंगे. हम विपक्ष में बैठेंगे. इतने साल से बीजेपी शिवसेना के साथ चर्चा कर रही थी, सोचा अलग से चर्चा करके देखते हैं.’’


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सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहम बातें


आज सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से किए गए फैसले में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित भूमि को रामलला को सौंपने का फैसला किया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित किया जाए. जिस पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया. इसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.


1045 पन्नों का है पूरा फैसला


पूरा फैसला 1045 पन्नों का है, इसमें 929 पन्नें एक मत से हैं जबकि 116 पन्नें अलग से हैं. एक जज ने फैसले से अलग राय जताई है. अभी जज के नाम का कोई जिक्र नहीं है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 40 दिन सुनवाई चली. 6 अगस्त 2019 से इसपर सुनवाई शुरू हुई. 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली.


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