लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने आज अयोध्या मसले पर फैसला सुना दिया. इस फैसले का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग अब सम्पूर्ण अवरोधों से मुक्त हो चुका है.


मुख्यमंत्री ने ब्लॉग लिखकर कहा कि लगभग पांच सदी से चल रहे एक बड़े और बहुप्रतीक्षित विवाद का अंततः सुखद और संतोषप्रद समाधान प्राप्त हुआ. अपेक्षा करता हूं कि सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय सभी पक्षों को शांतिपूर्ण रीति से स्वीकार करना चाहिए.


उन्होंने कहा, ''मैं एक योगी हूं, मैंने सन्यास लिया है और एक सन्यासी का जीवन सम्पूर्ण मानवता के कल्याण को समर्पित होता है. राजनैतिक दृष्टि से मैंने सदैव हिंदुत्व की राष्ट्रवादी विचारधारा को अंगीकार कर विकास की रीति नीति का अनुपालन किया है, कभी भी इससे समझौता नहीं किया और सर्वे भवन्तु सुखिनः से लेकर वसुधैव कुटुम्बकम के भावों को सदा अनुभूत किया है.''


मुख्यमंत्री योगी ने कहा, ''जब मैंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दायित्व ग्रहण किया तब वर्षों से तुष्टीकरण की राजनीति के कारण सत्ता के लिए अछूत बनी अयोध्या की उपेक्षा की पीड़ा मेरे मन में बसी हुई थी. अयोध्या की पीड़ा प्रभु श्री राम के वनवास तुल्य पीड़ा थी. मैंने सत्ता सम्भालते ही यह संकल्प लिया कि अयोध्या में विकास और विश्वास की पुनः बहाली करना और प्रभु श्री राम की जन्मभूमि के उद्धार हेतु कानूनी रीति से सतत प्रयत्नशील रहना मेरी प्राथमिकताओं में से एक है. इस कारण से मेरी सरकार ने अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आरंभ किया.''


योगी मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद ढाई साल में 18 बार अयोध्या के दौरे पर गये हैं. उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति के कारण अयोध्या के मुद्दे को कुछ राजनीतिक दलों द्वारा एक सुदीर्घ षड्यंत्र के तहत अति संवेदनशील बनाया गया जबकि यह पूर्ण रूप से आस्था का प्रश्न था. भारत का हर आस्थावान व्यक्ति चाहे वह किसी भी मान्यता का हो, प्रभु श्री राम को अपना पूर्वज मानता है.


योगी ने कहा, ''आज जब मैं मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हूं तो इस क्षण मुझे अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का स्मरण आता है जिन्होंने श्री रामजन्मभूमि आंदोलन में अति महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था, अक्सर कहा करते थे कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की न्यायप्रियता, आदर्शानुशासन और समत्व भावना से युक्त त्याग के गुणों का हर सत्ताधारी को अनुकरण करना चाहिए. मैं अपने गुरुदेव की इसी वाणी को आदर्श मानकर प्रदेश की सुरक्षा, शांति और विकास को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानता हूं.''


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मुख्यमंत्री ने कहा, ''मैं प्रदेश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि कानून व्यवस्था और सामाजिक सद्भावना के समक्ष चुनौती उत्पन्न करने वाले किसी भी असामाजिक अथवा आपराधिक तत्व से सख्ती से निपटा जाएगा. अपने प्रदेश की 23 करोड़ से अधिक जनता से भावपूर्ण अपील करता हूँ कि आप अपनी एकता, परस्पर सद्भाव और शांति को पूरी तरह बनाये रखें. यह न किसी की विजय है और न किसी की पराजय. यह सत्य और न्याय की उद्घोषणा मात्र है.''


आज सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित भूमि को रामलला को सौंपने का फैसला किया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित किया जाए. जिस पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया, इसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.


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