अयोध्या पर फैसला: क्या है अनुच्छेद 142, जिसका इस्तेमाल कर SC ने मस्जिद के लिए जमीन का आदेश दिया
देश की सबसे बड़ी अदालत ने राम मंदिर के लिए रास्ता खोल दिया है, आखिरकार कल चार सौ साल से पुराने विवाद का सुप्रीम कोर्ट ने कल निपटारा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैलसे के बाद अब केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वो मंदिर बनवाये.
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नई दिल्ली: अयोध्या में रामलला के मंदिर के लिए देश में न्याय के सबसे बड़े मंदिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है. दशकों से चले आ रहे जन्मभूमि विवाद का अंत हो गया है. विवादित जमीन पर रामलला के अधिकार के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है. सरकार मस्जिद के लिए कहीं भी 5 एकड़ जमीन देगी.
मंदिर के ऐतिहासिक फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देने की है.. सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए अनुच्छेद 142 के तहत मस्जिद के लिए जमीन देने का फैसला किया है.
क्या है अनुच्छेद 142 जिसके तहत SC ने दी मस्जिद की जमीन? -अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर आदेश पारित कर सकता है. -किसी भी पेंडिंग मामले में जरूरत पड़ने पर आदेश दे सकता है. -सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश देशभर में लागू होता है. -संसद में कानून लागू करवाने के लिए भी आदेश पारित हो सकता है.
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला है क्या ? चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सिर्फ 43 मिनटों में भारत के सबसे लंबे मुकदमे का फैसला पढ़ दिया. 40 दिनों की सुनवाई के दौरान इस विवाद से जुड़े सभी पक्षों ने अपनी दलीलें रखी थीं, कोर्ट ने आज उन तमाम दलीलों और सबूतों का जिक्र भी फैसला पढ़ते हुए किया. कोर्ट के फैसले मुताबिक निर्मोही अखाड़ा जमीन पर कब्जे के अपने दावे को साबित नहीं कर पाया, इसलिए उनके दावे को खारिज कर दिया गया.
2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला को मिली यानी अयोध्या में जन्मस्थान पर ही मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया. मंदिर बनाने की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट को मिलेगी. केंद्र सरकार को 3 महीने में ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया. केंद्र चाहे तो जमीन के हक से बाहर किए गए निर्मोही अखाड़े को मंदिर के ट्रस्ट में जगह दे सकता है.
वहीं मुस्लिम पक्ष को किसी और जगह पर 5 एकड़ जमीन देने के लिए कहा गया है. सरकार तय करेगी कि ये जमीन अधिगृहीत जमीन के अंदर हो या अयोध्या में ही किसी और जगह पर होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर मुस्लिम पक्ष को जमीन दी.
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