नई दिल्ली: डेंगू का इलाज करने वाली आयुर्वेदिक दवा अपने क्लीनिकल परीक्षण के तीसरे और अंतिम चरण में है. इसे अगले दो सालों में बाजार में उतार दिया जाएगा. आयुष मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही.


आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिगपा और होम्योपैथी) मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) मिलकर इस पर अनुसंधान कर रहे हैं.


यह दवा भारत में उगने वाले कई प्रकार के औषधीय पौधों से तैयार की गयी गयी है और इसे अगले दो सालों में गोली के रूप में बाजार में उतारे जाने की संभावना है.


कोटेचा ने मंत्रालय की 100 दिनों की उपलब्धियों पर एक संवाददाता सम्मेलन के अवसर पर कहा," अनुसंधान क्लीनिकल परीक्षण के तीसरे (अंतिम) चरण में है. यह अगले दो सालों में पूरा कर लिया जाएगा. इसके पूरा हो जाने के बाद यह डेंगू के खिलाफ दुनिया की पहली दवा होगी."


इस दवा का नाम, इसे कैसे बेचा जाएगा- काउंटर पर या डॉक्टर की सलाह पर, जैसी चीजें तय होनी बाकी हैं. आईसीएमआर और मंत्रालय की टीम को डोज के मानकीकरण का काम भी करना होगा तथा उसमें उपयोग आने वाली हर जड़ी-बूटी का अनुपात भी निश्चित करना होगा.