मोदीकेयर स्कीम: 15 अगस्त को लांच करने की हो रही तैयारी लेकिन दिल्ली में लागू होने पर सस्पेंस
नीति आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कीम के लॉन्च के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. चूंकि ये स्कीम राज्य सरकारों के सहयोग और उनकी अनुमति से लागू होनी है लिहाजा केंद्र सरकार की सभी राज्यों से बातचीत जारी है.
नई दिल्लीः आयुष्मान भारत योजना के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा स्कीम शुरू होने का इंतज़ार सबको है. स्कीम में प्रत्येक ग़रीब परिवार को 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा देने की योजना है. एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्कीम लॉन्च कर सकते हैं.
सरकार की तैयारियां ज़ोरों पर नीति आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कीम के लॉन्च के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. चूंकि ये स्कीम राज्य सरकारों के सहयोग और उनकी अनुमति से लागू होनी है लिहाजा केंद्र सरकार की सभी राज्यों से बातचीत जारी है. सरकार के मुताबिक अब तक 20 राज्यों ने स्कीम लागू करने के लिए अपनी हामी भर दी है और उनसे समझौते पर हस्ताक्षर भी लिए जा चुके हैं. इसके अलावा अस्पतालों के चयन से लेकर अलग अलग बीमारियों के इलाज़ पर होने वाले ख़र्चे निर्धारित करने जैसे तकनीकी पहलुओं पर भी तैयारियां लगभग आखिरी दौर में है.
दिल्ली , बंगाल , ओडिशा और पंजाब का रुख़ साफ नहीं हालांकि स्कीम को लेकर कुछ पेंच फिलहाल सुलझना बाक़ी है. मसलन 20 राज्यों ने तो अपनी सहमति दे दी है लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के साथ साथ बंगाल, ओडिशा और पंजाब जैसे बड़े और अहम राज्यों ने अबतक अपनी हामी नहीं भरी है. हालांकि एबीपी न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ 17 जून को हुई नीति आयोग की बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सैद्धांतिक तौर पर इस स्कीम में शामिल होने को मंज़ूरी दे दी है. नीति आयोग के सूत्रों ने बताया कि ममता बनर्जी पहले तो अपने राज्य में चल रहे हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम का हवाला देकर उत्साह नहीं दिखा रही थीं लेकिन अब उनके रूख़ में बदलाव आया है.
'दिल्ली का शामिल होना ज़रूरी' वैसे दिल्ली के शामिल होने को लेकर अब भी सस्पेंस बरक़रार है. नीति आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक़ दिल्ली ने अबतक स्कीम में शामिल होने पर न तो ना कहा है और न ही हां. उनके मुताबिक़ दिल्ली की दलील ये रही है कि यहां पहले से ही सरकार एक स्कीम चला रही है जिसके तहत अगर सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन नहीं हो सकता तो प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त ऑपरेशन करवाया जा सकता है. इतना ही नहीं दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में भी मुफ्त दवाइयों की सुविधा मौजूद है. हालांकि नीति आयोग में इस स्कीम से जुड़े लोगों का मानना है कि दिल्ली का इस स्कीम में शामिल होना ज़रूरी है क्योंकि देशभर से मरीज़ इलाज़ के लिए दिल्ली के बड़े बड़े अस्पतालों में ही रेफर किए जाते हैं. उनको उम्मीद है कि दिल्ली से जो बातचीत हो रही है उसका सकारात्मक परिणाम निकलेगा और दिल्ली भी इस इस स्कीम में शामिल होगा.
कुछ और भी हैं पेंच वैसे स्कीम के तहत इलाज़ के ख़र्चे और बीमा कंपनियों की मनमानी को लेकर भी कई शिकायतें की जा रही हैं. ख़ासकर सरकार की तरफ़ से स्कीम के तहत अलग अलग बीमारियों के इलाज़ को जो रेट लिस्ट तैयार किया गया है उससे अपोलो और मेदांता समेत देश के कई बड़े अस्पताल सहमत नहीं हैं. यहां तक कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जैसी संस्था ने भी इस रेट लिस्ट को नाक़ाफ़ी क़रार दिया है. सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक़ इलाज़ का जो रेट तय किया गया है उनमें अन्य बीमारियों के अलावा घुटना और कूल्हा ट्रांसप्लांट के लिए 9000 रूपये , स्टेंट लगाने के लिए 40000 रूपये और सिजेरियन डिलीवरी के लिए 9000 रूपए का रेट तय किया गया है.
बजट में हुई थी आयुष्मान भारत स्कीम की घोषणा इस साल के बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयुष्मान भारत योजना की घोषणा की थी. इसके दो भाग हैं. पहला देशभर में 1.5 लाख वेलनेस और हेल्थ सेंटर खोलना जबकि दूसरा है देश के प्रत्येक ग़रीब परिवार को सालाना 5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा देना जिसे मोदीकेयर भी नाम से भी जाना जा रहा है.