Azadi Ka Amrit Mahotsav: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) ने पश्चिम बंगाल के ईटानगर से दिल्ली के राजघाट तक 'आजादी का अमृत महोत्सव' पर साइकिल रैली आयोजित की. इस साइकिल रैली की शुरुआत पूर्व सीमा 'इकबाली' से हुई, यह 2 अक्टूबर को राजघाट में समाप्त होगी.
आईटीबीपी डिप्टी कमांडेंट अभिनव ने बताया, "यह रिले साइकिल रैली ईटानगर से शुरू हुई. यह ईटानगर से राजघाट दिल्ली जा रही है. यह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल द्वारा संचालित किया जा रहा है. हम 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, जिसे स्वतंत्रता का शुभ पर्व कहा जाता है. मेरे साथ टीम में 24 सदस्य हैं. टीम अपने दौरे पर कई कार्यक्रम भी आयोजित करेगी जैसे वृक्षारोपण, स्वच्छता की शुरुआत, हम कपड़े भी वितरित करेंगे. हम देशभक्ति फिल्मों का भी आयोजन करेंगे. मैं इस टीम का नेतृत्व कर रहा हूं. इसे ITBP साइकिल रिले रैली के नाम से चलाया जा रहा है."
पूर्वोत्तर साइकिल रैली ने कल अपने परिवेश को पूरा किया और आज सेक्टर गंगटोक का चरण शुरू होगा जो यहां सिलीगुड़ी से शुरू होकर 8 सितंबर को पटना में समाप्त होगा. टीम के एक सदस्य ने कहा, "हमने यहां उन साइकिल चालकों को चुना है, जिन्होंने अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है. उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई है, साइकिल चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है और आम लोगों से जुड़ने का उद्देश्य भी दिया गया है. वे जहां भी रुकते हैं, उनसे बातचीत करते हैं, आईटीबीपी के बारे में बताते हैं और समूह की उपलब्धता के बारे में भी बात करते हैं."
इस रैली के दौरान आईटीबीपी के जवान अपने पुराने कपड़े गैर सरकारी संगठनों को दान भी देते हुए आगे बढ़ेंगे. यही नहीं बल्कि मेडिकल कैंप लगाकर गरीब लोगों को इलाज उपलब्ध भी करवाएंगे. इस रैली के माध्यम से आईटीबीपी पूरे भारत वासियों को यह बताने की कोशिश करेगा की स्वतंत्रता प्राप्त करना कितना कठिन था और स्वतंत्रता को कैसे बनाए रखना है. सड़कों पर लोगों को जागरूक करने का भी काम इस रैली के दौरान किया जायेगा.
एक सदस्य ने कहा कि "हमने साइकिल को चुना क्योंकि यह धीरे-धीरे चलती है, हर दिन एक पड़ाव होता है. आप कहीं भी रुक सकते हैं और लोगों से बात कर सकते हैं. धीमी गति से चल रहे लोग भी जुड़ते हैं. वाहन तेजी से चले जाते हैं कोई बातचीत नहीं हो सकती. कोई चेहरा नहीं देखा जा सकता. लेकिन इस मामले में हम कहीं भी रुक सकते हैं, समूह के साथ बात कर सकते हैं, उनके साथ व्यवहार कर सकते हैं, उन्हें एक छोटा सा उपहार दे सकते हैं. लोग बहुत खुश हो जाते हैं, हम भी बहुत खुश हो जाते हैं कि हम आम लोगों के बीच में हो पाते हैं और उनसे जुड़ पाते हैं."
भारत-चीन संघर्ष के बाद देश की उत्तरी सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 24 अक्टूबर 1962 को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) का गठन किया गया था. आईटीबीपी की शुरुआत केवल चार पलटनों के एक छोटे से दल के रूप में हुई थी, जो अब 45 सेवा पलटनों और चार विशेषीकृत पलटनों का बड़ा रूप ले चुका है. आईटीबीपी का मुख्य कार्य भारत-तिब्बत सीमा की सुरक्षा और रखवाली करना, सीमा की जनता को सुरक्षा की भावना प्रदान करना, महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों का निर्वहन और आपदा प्रबंधन करना है.
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