Baba Siddique Shot Dead: हाजी मस्तान, दाऊद इब्राहिम और अब लॉरेंस बिश्नोई, क्या बॉलीवुड में लौट आया अंडरवर्ल्ड का हॉरर?
Underworld: कैसेट किंग के नाम से मशहूर टी-सीरीज के गुलशन कुमार की 1997 में हत्या के बाद से पुलिस ने अंडरवर्ल्ड के खिलाफ अभियान छेड़ दिया. कई एनकाउंटर हुए. इससे मुंबई से अंडरवर्ल्ड का सफाया हो गया.
Baba Siddique Shot Dead Latest News: बाबा सिद्दीकी की हत्या में तीन आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, मुंबई पुलिस अन्य की तलाश में लगातार दबिश दे रही है. पुलिस केस मे कई एंगल से जांच कर रही है. पकड़े गए आरोपियों की क्राइम कुंडली खंगालने के साथ ही हत्या लॉरेंस विश्नोई गैंग के दावे की सच्चाई को भी पता लगाया जा रहा है.
ये वो सवाल हैं, जिनके जवाब पुलिस तलाश रही है, लेकिन इन सबसे अलग देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मु्ंबई में हुई इस बेहद हाई प्रोफाइल वारदात के बाद एक बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि क्या तीन दशक बाद मुंबई में अंडरवर्ल्ड की एंट्री फिर से हो चुकी है? ये सवाल इसलिए... क्योंकि सिद्दीकी की हत्या पिछले तीन दशक में मुंबई में किसी हाई-प्रोफाइल नेता की हत्या का पहला मामला है जिसने पूरे राज्य को चौंका दिया है.
70 के दशक में हुई अंडरवर्ल्ड की एंट्री
नब्बे के दौर में मुंबई की इमेज सपनों की नगरी के तौर पर थी, लेकिन मुंबई की इस इमेज पर कालिख पोतने का काम अंडरवर्ल्ड ने किया. दहशत, खौफ का वह ऐसा राज था कि मीलों दूर रहने वाले भी मुंबई जाने से डरते थे और दहशत के इस चैप्टर की शुरुआत सत्तर के दशक से ही हो गई थी. तब एक शख्स ऐसा था जिसके नाम से बड़े-बड़े माफिया कांपते थे. उसने कभी बंदूक नहीं उठाई. कभी कोई गोली नहीं चलाई. कभी कत्ल नहीं किया, लेकिन मुंबई का सबसे बड़ा डॉन बन गया. उस शख्स का नाम था सुल्तान मिर्जा.. उर्फ हाजी मस्तान.
पंक्चर लगाने वाला बन गया डॉन
हाजी मस्तान के पिता 1934 में मुंबई (तब बंबई) आ गए. हाजी मस्तान के पिता ने क्रॉफर्ड मार्केट में पंक्चर की दुकान खोल ली. हाजी मस्तान भी पिता के साथ दुकान पर बैठने लगा. इस दौर में बंबई का पोर्ट खूब फल-फूल रहा था. विदेश से ढेर सारा सामान आता-जाता था. मस्तान ने पोर्ट पर कुली की नौकरी पकड़ ली. कहने को कुली था, लेकिन असली धंधा तस्करी का था. पोर्ट से घड़ी, वॉकमैन, रेडियो और दूसरी चीजों की तस्करी करने लगा. फिर धीरे-धीरे तस्करी की दुनिया से जरायम की दुनिया में कदम रखा. 1970 आते-आते हाजी मस्तान को पूरा बंबई जानने लगा था.
हाजी मस्तान के बाद दाऊद इब्राहिम बन गया डॉन
1975 में देश में इमरजेंसी लग गई. मस्तान जैसे कई डॉन को जेल में डाल दिया गया. जेल से छूटने के बाद हाजी मस्तान ने राजनीति में कदम रखा. दलित-मुस्लिम सुरक्षा महासंघ नाम की पार्टी बनाई. 1990 में इसका नाम बदल कर ‘भारतीय अल्पसंख्यक महासंघ कर दिया गया. पार्टी ने बंबई, कलकत्ता और मद्रास में निकाय चुनाव लड़े, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. एक दौर ऐसा भी आया जब हाजी मस्तान का बॉलीवुड में सिक्का चलने लगा.. फिल्मी सितारे उसके इशारे पर नाचते थे. 1994 में हाजी मस्तान की हार्ट अटैक से मौत हो गई. हाजी मस्तान की मौत के बाद उसका चेला दाऊद इब्राहिम मुंबई अंडरवर्ल्ड पर राज करने लगा था.
1993 में दुनिया ने देखा अंडरवर्ल्ड का खौफनाक चेहरा
वैसे तो दाउद इब्राहिम के अपराध का काला चिट्ठा 70 के दशक से ही शुरू हो चुका था, लेकिन मुंबई ने 1993 में दाऊद और उसके गुर्गों के आतंक का सबसे खौफनाक चेहरा देखा था. 12 मार्च 1993 को दोपहर 1:30 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की 29 मंजिला इमारत धमाके से थर्रा उठी. लोग संभल पाते इससे पहले 45 मिनट बाद मुंबई एक और धमाके से दहल उठा. इसके बाद ब्लास्ट का सिलसिला शुरू हो गया.. दो घंटे में 12 धमाकों से मुंबई कांप उठी.. ये धमाके मुंबई स्थित शिवसेना भवन, एयर इंडिया बिल्डिंग, प्लाजा सिनेमा, एयरपोर्ट जैसी अहम और भीड़भाड़ वाली जगहों पर हुए थे. इन सीरियल ब्लास्ट में 257 लोग मारे गए थे और 713 घायल हुए थे. तब पहली बार देश में आतंकी वारदात के दौरान आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था. इन हमलों में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का हाथ था. ब्लास्ट की साजिश टाइगर मेमन ने रची थी. दोनों को आज तक नहीं पकड़ा जा सका है. 1993 के मुंबई ब्लास्ट से पहले दाऊद इब्राहिम दुबई में रहकर मुंबई में काले कारोबार पर नजर रखता था. फिल्मी दुनिया में भी दाऊद की पैठ हो चुकी थी. दाऊद फिलहाल पाकिस्तान के कराची में रहता है और वहीं से अपना गैंग चलाता है.
गुलशन कुमार की हत्या के बाद और डर गया बॉलिवुड
तारीख, 12 अगस्त 1997 और दिन था मंगलवार. कैसेट किंग 42 साल के गुलशान कुमार पूजा की थाली लेकर अपने घर से निकले. करीब 10 बजकर 10 मिनट पर जब सफ़ेद कुर्ता और सफ़ेद सैंडिल पहने गुलशन कुमार अपनी मैरून रंग की मारुति एस्टीम कार से उतरे और शिव मंदिर में पूजा करने चले गए. 10 बजकर 40 मिनट पर गुलशन कुमार मंदिर से पूजा करके अपने गाड़ी की तरफ आ रहे थे. कुछ कदम चलते ही घात लगाए बैठे बदमाश उन पर हमला बोल देते हैं. दाऊद के गुर्गे गुलशन कुमार पर कुल 16 गोलियां दागते हैं. सूचना के बाद पहुंची पुलिस गुलशन कुमार को ले जाती है, लेकिन तब तक डॉक्टर मृत घोषित कर देता है. इस घटना ने एक बार फिर मुंबई में अंडरवर्ल्ड के खौफ को उजागर किया. बेहद हाई प्रोफाइल केस होने की वजह से जांच ने रफ्तार पकड़ी. चश्मदीदों के बान पर हमलावरों को हुलिया तैयार किया गया..दो दिन के भीतर ही क्राइम ब्रांच ने 6 लोगों को गिरप्तार कर लिया.. सभी अबू सलेम गुट से जुड़े थे.. पूछताछ में सभी ने दुबई में बैठक की बात कुबूल की थी. दरअसल, गुलशन कुमार को लंबे वक्त से धमकियां मिल रहीं थीं. अंडरवर्ल्ड से 10 करोड़ की फिरौती मांगी जा रही थी.
गुलशन कुमार की मौत के बाद पुलिस ने मुंबई से किया था अंडरवर्ल्ड का सफाया
गुलशन कुमार की हत्या के बाद मुंबई पुलिस ने अंडरवर्ल्ड की कमर तोड़ने का फैसला किया. अपराधियों के खात्मे के लिए मकोका जैसा कानून बना. केंद्रीय जांच एजेंसियों आईबी, रॉ, सीबीआई का लोकल पुलिस के साथ तालमेल बढ़ा. एनकाउंटर शुरू हुए, जिसने अंडरवर्ल्ड का समूल नाश कर दिया, लेकिन बाबा सिद्दकी की हत्या ने एक बार फिर अंडरवर्ल्ड की दस्तक का अहसास कराया है.
इस तरह अचानक मुंबई में बढ़ा लॉरेंस का आतंक
लॉरेंस बिश्नोई गिरोह वैसे तो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यूूपी के कुछ जिलों तक ही मुख्य रूप से एक्टिव है, लेकिन पिछले कुछ साल में उका नाम मुंबई में हुई कई वारदात में सामने आया है. लॉरेंस बिश्नोई लगातार सलमान खान को जान से मारने की धमकी देता रहा है. इसी साल उसके गुर्गों ने सलमान खान के घर पर भी फायरििंग की थी. हालांकि सलमान इसमें बाल-बाल बच गए थे. कहा जा रहा है कि लॉरेंस ने ही बाबा सिद्दकी पर हमला कराया. वारदात के बाद बिश्नोई गैंग ने हमले की जिम्मेदारी भी ली थी. हालांकि पुलिस इकी जंच कर रही है.
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