अयोध्या में मंदिर निर्माण का रास्ता साफ, जानिए-बाबरी मस्जिद विध्वंस पर कब आ सकता है फैसला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक और फैसले का इंतजार हो रहा है. उम्मीद है अगले साल बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर फैसला हो जाए.
लखनऊ: अयोध्या में मंदिर निर्माण के फैसले के बाद अब एक और फैसले की सुगबुगाहट तेज हो गयी है. 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला तो रामजन्म भूमि- बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर आया है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया. लेकिन अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ये भी माना कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस गैरकानूनी और अवैध था. ऐसे में करीब 1992 के बाद से काफी उताड़ चढ़ाव देख चुका ये केस अब अपने अंतिम पड़ाव की तरफ बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है.
बाबरी विध्वंस मामला लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है. बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद अयोध्या में दो मुकदमे दर्ज किये गये थे. एक मुकदमा मस्जिद विध्वंस की साजिश रचने का था जबकि दूसरा केस मस्जिद तोड़ने के लिए भीड़ को उकसाने का बना. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों केस को एक साथ करने और लखनऊ में एक अलग स्पेशल कोर्ट गठित करने का आदेश दिया था.
अगले साल अप्रैल महीने में आ सकता है फैसला
माना ये जा रहा है कि इस मामले में 2020 के अप्रैल महीने में फैसला आ सकता है. अप्रैल में ही स्पेशल कोर्ट के जज एस के यादव का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. एस के यादव इस साल 30 सितंबर को रिटायर होनेवाले थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सेवा में विस्तार कर दिया और 9 महीने में इस मामले की सुनवाई पर फैसला सुनाने का आदेश दिया.
कौन-कौन दिग्गजों की किस्मत है दांव पर
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के आरोपियों में प्रमुख रूप से बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, पूर्व सीएम और राज्यपाल कल्याण सिंह, सांसद साक्षी महाराज और बृजभूषण सिंह आरोपी हैं. कोर्ट में 1000 गवाहों में से 348 की गवाही पूरी हो चुकी है. राज्यपाल के पद से हटने के बाद सितंबर में कल्याण सिंह ट्रायल कोर्ट में पेशी हो चुकी है. जहां से उन्हें जमानत मिल गई. वर्तमान में ट्रायल कोर्ट अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश सबूतों पर सुनवाई कर रही है. सुनवाई पूरी हो जाने के बाद आरोपियों का बयान रिकॉर्ड किया जाएगा. ट्रायल के दौरान कोर्ट में रखे गये सबूत की बुनियाद पर आरोपियों से कोर्ट सवाल करेगा. कोर्ट उन्हें अपने ऊपर लगे आरोपों पर जवाब देने का मौका देगा. जवाबी प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद बचाव पक्ष आरोपियों के समर्थन में सबूत पेश करेगा. अंत में कोर्ट के फैसला सुनाने से पहले जिरह की कार्रवाई होगी.