अयोध्या में विवादित ढांचा साजिशन गिराया गया या कारसेवकों के गुस्से में तोड़ा गया? कल आएगा फैसला
CBI अदालत कल फैसला सुनाएगी कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा साजिशन गिराया गया था या कारसेवकों के गुस्से में ढांचा तोड़ा गया.
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अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में लखनऊ की CBI अदालत कल फैसला सुनाने वाली है. इस मामले में बीजेपी के कई दिग्गज नेता आरोपी हैं. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय और साध्वी ऋतम्भरा. ये वो बड़े चेहरे हैं जिनपर कल अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस मामले में फैसला आने वाला है.
ये फैसला ऐसे समय में आने जा रहा है जब सुप्रीम कोर्ट से राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला आ चुका है और राम मंदिर निर्माण का काम भी शुरू हो चुका है. CBI अदालत तय करेगी कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा साजिशन गिराया गया था या कारसेवकों के गुस्से में ढांचा तोड़ा गया.
इस मामले में कुल 49 आरोपी थे जिनमें 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है. बाकी बचे 32 मुख्य आरोपियों पर फैसला आएगा. कोर्ट ने सभी आरोपियों को फैसले के दिन व्यक्तिगत तौर पर पेश होने को कहा है. हालांकि कोरोना की वजह से उम्रदराज और बीमार आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट मिलने की संभावना है.
क्या है पूरा मामला साल 1992 में 6 दिसंबर के दिन रामजन्मभूमि परिसर में कारसेवा की इजाजत सुप्रीम कोर्ट से मांगी गई थी. कहा गया कि रामभक्त अयोध्या में सरयू का जल और एक मुट्ठी मिट्टी राम चबूतरे पर चढ़ाएंगे. तत्कालीन बीजेपी सरकार ने कोर्ट में हलफनामा देकर दावा किया था कि कार सेवक सिर्फ कारसेवा करके लौट जाएंगे. लेकिन लाखों की संख्या में इकट्ठा रामभक्तों ने विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया. ढांचा गिराए जाने के बाद तत्कालीन कल्याण सिंह की सरकार ने घटना की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया. बाद में सरकार ने ढांचा गिराए जाने के मामले में जांच का आदेश दिया.
इस मामले की पहले CID ने जांच शुरू की लेकिन बाद में ये पूरा मामला CBI को सौंप दिया गया. अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले पर कोर्ट के फैसले से पहले उमा भारती ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वो जेल जाने को तैयार हैं लेकिन इस मामले में जमानत नहीं लेंगी.
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