नई दिल्ली: अयोध्या में राम जन्म भूमिपूजन से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने राम मंदिर के निर्माण की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 'अन्यायपूर्ण और अनुचित" बताया है. एआईएमपीएलबी ने कहा, बाबरी मस्जिद एक मस्जिद ही रहेगी और राम मंदिर के निर्माण की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट का फैसला 'अन्यायपूर्ण और अनुचित' था.


संगठन के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रहमानी ने कहा, "हमने हमेशा कहा है कि बाबरी मस्जिद को कभी भी किसी मंदिर या किसी हिंदू पूजा स्थल को ध्वस्त करके नहीं बनाया गया था."


सुप्रीम कोर्ट ने एक अत्यंत अन्यायपूर्ण व्यवहार किया: रहमानी
अपने बयान में उन्होंने आगे कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया है कि मस्जिद में 22 दिसंबर, 1949 को मूर्तियों को रखना एक गैरकानूनी कार्य था. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी स्वीकार किया है कि 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस एक गैरकानूनी, असंवैधानिक और आपराधिक कृत्य था. इन सभी तथ्यों को स्वीकार करने के बाबजूद एक बेहद अन्यायपूर्ण फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद की जमीन को उन लोगों को सौंप दिया, जिन्होंने एक आपराधिक तरीके से मस्जिद में मूर्तियों को रखा था और इस आपराधिक विध्वंस के पक्षकार थे."


बता दें, 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि को लेकर अपना फैसला सुनाया था. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन राम लला को सौंप दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में पांच एकड़ की जमीन दी जाए.


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