(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो बोले- पश्चिम बंगाल में कोरोना टेस्ट सबसे कम, राज्य में मृत्यु दर ज्यादा, ममता सरकार आंकड़े छिपा रही
एबीपी न्यूज़ के 'e-शिखर सम्मेलन' में पश्चिम बंगाल के आसनसोल लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने सवालों के जवाब दिए.
नई दिल्ली: कोरोना काल में एक तरफ जान बचाने की चुनौती है तो दूसरी तरफ रोजी-रोटी और अर्थव्यवस्था का संकट है. इस संकट से निकलने का रोडमैप क्या है? इसी पर बात करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियों 'e-शिखर सम्मेलन' में जुड़े. 'e-शिखर सम्मेलन' में पश्चिम बंगाल के आसनसोल लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने सवालों के जवाब दिए.
पश्चिम बंगाल में कोरोना के आंकड़ों को लेकर छिड़े विवाद पर बाबुल सुप्रियो ने कहा, ''कोई भी विषय हो उसमें बंगाल अलग से उभर कर आता है. इसके लिए हमारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मानसिकता जिम्मेदार है. ममता बनर्जी ट्वीट करती हैं कि हम बंगाल के सिटिजन को इस काम के लिए बधाई देते हैं. उन्हें पता होना चाहिए सिटिजन देश के होते हैं और बंगाल में बंगाल के रहने वाले हैं. उनकी कोशिश है कि पूरी दुनिया एक तरफ रहे और बंगाल एक तरफ रहे. इसे लागू करने के चक्कर में देश में कोरोना का आंकड़ा अलग है और बंगाल में अलग है.'' उन्होंने कहा कि ''ममता सरकार आंकड़े छिपा रही है. पश्चिम बंगाल में कोरोना टेस्ट सबसे कम हो रहे हैं और राज्य में मृत्यु दर ज्यादा है.''
क्या चीन पर दुनिया का भरोसा घटा है इस वजह से भारत के पास मौका है? इस सवाल पर केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा, ''किसी हादसे की वजह से भारत के पास मौके आ गए हैं यह कहना गलत होगा. चीन कई सालों से विश्वनीयता खो रहा है, दुनिया का चीन पर भरोसा घटा है. परसों हमने एक मीटिंग की थी और उसमें हमने चर्चा की कि पर्यावरण क्षेत्र में कौन-कौन से ऐसे कानून हैं जिन्हें हम खत्म कर सकते हैं. सरकार निवेश पर काम कर रही है. एनवायरनमेंट क्लीयरेंस को लेकर हम काम कर रहे हैं, इसे हम सिंगल विंडो में लेकर जा रहे हैं.''
बाबुल सुप्रियो ने कहा कि ''सिस्टम को क्लीन करने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां चलाने वालों की तरफ से भी ध्यान देने की जरूरत है. सिंगापुर में बहुत ज्यादा जुर्माने लगते हैं लेकिन क्या हम भारत में ऐसा कर सकते हैं. लेकिन इन कंपनियों की कैटगरी बनाने के लिए परसों मीटिंग हुई थी उसमें चर्चा की गई. कई बार कंपनियां स्टेट और केंद्र के चक्कर में अपनी नैतिकता को गंवा रहे हैं. इस वक्त पर्यावरण साफ हो गया है, इसलिए हमें आगे भी ध्यान रखने की जरूरत है.''