Joshimath News: बदरीनाथ धाम को जाने वाला बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी भू-धंसाव की चपेट में आता जा रहा है. जोशीमठ भूधंसाव को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. एक तरफ जहां दरारों वाले भवनों की संख्या बढ़कर 863 हो गई है तो वहीं अब बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी भू-धंसाव की चपेट में आता जा रहा है.
लाखों हिंदुओं की आस्था के केंद्र बदरीनाथ की ओर जाने वाले एकमात्र रास्ते के कई हिस्सों में एक से दो मीटर तक दरारें आई हैं. सरकार फिलहाल मार्ग की मरम्मत की बात कर रही है लेकिन यात्रा शुरू होने से पहले मार्ग को सही ढंग से रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. बदरीनाथ हाईवे धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. हाईवे पर आई बड़ी-बड़ी दरारें सरकार की चिंता को ओर बढ़ा रही है.
रास्ते की मरम्मत के निर्देश दिए गए
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा कि, जोशीमठ में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के धंसाव पर शासन-प्रशासन पूरी नजर बनाए हुए हैं. संबंधित एजेंसियों को रास्ते की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं. यात्रा से पहले मार्ग को पूरी तरह से दुरूस्त कर दिया जाएगा.
भारतीय सेना का चीन सीमा से संपर्क कट सकता है
दूसरी तरफ चिंता ये है कि, अगर दरारें नहीं थमीं तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा जमींदोज हो सकता है. ऐसे में बदरीनाथ धाम की राह बाधित होने के साथ ही भारतीय सेना का चीन सीमा से संपर्क भी कट सकता है. क्षेत्र का दौरा कर लौटे भू-विज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि हाईवे पर दरारों का पैटर्न समानांतर है. इसके अलावा सड़क के किनारे धंस रहे विशालकाय पत्थर भी चिंता को बढ़ा रहे हैं.
इसरो की रिपोर्ट में हिमालय शहर 5.4 सेमी घंस गए है
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा जारी जोशीमठ को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में कहा था कि उपग्रह छवियों से पता चलता है. हिमालयी शहर केवल 12 दिनों में 5.4 सेमी धंस गया है. जमीन धंसने की यह घटना दो जनवरी से शुरू हुई. बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली के प्रवेश द्वार जोशीमठ को भूमि धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
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