Dhirendra Shastri: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले स्थित बागेश्वर धाम के महाराज और कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों में मीडिया में छाए हुए हैं. पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बारे में कहा जाता है कि वह लोगों के मन की बात जान लेते हैं. धीरेंद्र शास्त्री का दावा है कि उनके पास सिद्धियां हैं, जो उन्हें बालाजी भगवान से मिली हैं. वहीं, कुछ लोग धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं.
मध्य प्रदेश के छतरपुर में जन्मे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बचपन बहुत गरीबी में बीता. उनका पूरा परिवार एक कच्चे मकान में रहता था. अपनी कथा में धीरेंद्र शास्त्री ने जब अपनी गरीबी की कहानी सुनाई तो लोगों की आंखों से आंसू बहने लगे. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, "इस देश में किसी का मजाक होता है तो गरीबी का. नियमों का पालन केवल गरीब को करना होता है. मास्क सिर्फ गरीब को ही लगाना पड़ता है. चालान कभी बड़े आदमी का नहीं होता. हमने अपने जीवन में बहुत गरीबी देखी है."
सुनाई गरीबी की कहानी
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, "हम सबसे बड़े थे भाई-बहनों में. पिताजी कुछ करते नहीं थे. हमने आठ वर्ष तक भीख मांगी. पढ़ने जाते थे तो तिलक लगाकर जाते थे. हमारे मित्र जबरदस्ती हमारा तिलक मिटा देते थे. हम गरीब थे तो विरोध नहीं कर पाते थे. जब उत्सव होता था तो सबके नए-नए कपड़े होते थे, हमारे पास सिर्फ एक ही कपड़े होते थे."
'लोग नहीं देते थे उधार'
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बताया, "उन्हें वृंदावन में भागवत पढ़ने जाना था तो उनके पास 2,000 रुपये किराया तक नहीं था. उधार मांगा तो 15 दिन तक किसी ने उधार नहीं दिया था क्योंकि वो सोचते थे कि ये उधार चुका नहीं पाएगा." उन्होंने कहा, "कोई नातेदार-रिश्तेदार बुलाता नहीं था." धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, "मेरी मां ने हमेशा सिखाया था कि बाहर निकलना तो मुस्कुराते हुए जाना. हम जब भिक्षा मांगने जाते थे तो लोग ताने देते थे."
गरीबों के लिए करते हैं ये काम
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, "आज बागेश्वर धाम में हर महीने 70-80 हजार लोग निशुल्क भंडारा पाते हैं. बागेश्वर धाम पर जो भी चढ़ावा आता है, उससे गरीब कन्याओं का विवाह होता है." धीरेंद्र शास्त्री के देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी श्रद्धालु हैं. दुनियाभर के कई देशों में वह कथा करने जाते रहते हैं, जहां भारतीय मूल के लोगों के अलावा विदेशी भी उन्हें सुनने आते हैं.
अरबपति ने भी लगाई अपनी अर्जी
पंजाब मूल का इटली का एक अरबपति भी धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में अर्जी लगाने पहुंचा. वह अपने साथ तीन प्रश्नों को लेकर आया था. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने उसके भी मन की बात जान ली. वह बालाजी का धाम बनाकर सेवा करना चाहता था. इसके लिए वह उनकी इजाजत लेने आया था. बागेश्वर महाराज ने उसे इसकी इजाजत दी, लेकिन उसके काम में शामिल कुछ गंदी आदत के बारे में बताकर उसे छोड़ने की सलाह दी.
लंदन में हर साल होती है कथा
पंडित धीरेंद्र शास्त्री की लंदन में हर साल कथा होती है. इस कथा में उन्होंने कहा, "रामजी जैसा दयालु इस दुनिया में कोई नहीं है. जो इनकी शरण में आ जाता है कभी हारता नहीं है. लंदन में हमारा खेल भाषा पर नहीं है, भावनाओं पर है. रामायण पढ़वाओ, पढ़े न तो सुनवाओ. रामचरित मानस को सुनेगा तो उसको गढ़ेगा. आज पढ़ाई से ज्यादा जरूरत संस्कारों की है. समाज संस्कारहीन हो रहा है. एक बच्ची है, अंग्रेज है, उसे हिंदी नहीं आती है, लेकिन वो कह रही थी कि यदि तनाव से बचना है तो कथा को सुनना चाहिए. वो धाम भी गई थी. एक अभक्त को भी भक्त बना दिया तो हमारा आना सफल हो गया."
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