महज 3 साल की उम्र में लिखी पहली कविता, सिर्फ सुनकर ली शिक्षा... जानें धीरेंद्र शास्त्री के गुरु रामभद्राचार्य की पूरी कहानी
रामभद्राचार्य ने 3 साल की उम्र में अपनी पहली कविता की रचना अवध भाषा में की थी. वे ना तो लिख सकते हैं, ना ही पढ़ सकते हैं. उन्होंने सिर्फ सुनकर शिक्षा हासिल की और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते रहे.
Bageshwar Dham Guru Rambhadracharya: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों खूब विवादों में हैं. आए दिन वो नए-नए बयान देकर बवाल खड़ा कर देते हैं. पहले उन पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगा तो वहीं बाद उन्होंने 'हिंदू राष्ट्र' बनाने की बात कह दी. वे खुद को हनुमान जी का सेवक भी बताते हैं. अब तक लोग धीरेंद्र शास्त्री के जीवन से अच्छे से परिचित हो चुके हैं, लेकिन क्या आप उनके गुरु के बारे में जानते हैं.
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के गुरु का नाम है जगद्गुरु रामभद्राचार्य. 84 साल के रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ था. माता-पिता ने उनका नाम गिर्धन मिश्रा रखा था. जन्म के कुछ ही समय बाद गिर्धन मिश्रा की आंखों की रोशनी चली गई. वे अपने दादा के बेहद करीब थे और बचपन में उन्होंने अपने दादा से ही रामायण, गीता और अन्य धार्मिक किताबों का पाठ सुना था.
सिर्फ सुनकर हासिल की शिक्षा
आपको जानकर हैरानी होगी कि रामभद्राचार्य ने महज 3 साल की उम्र में अपनी पहली कविता की रचना अवध भाषा में की थी. हालांकि, वे ना तो लिख सकते हैं, ना ही पढ़ सकते हैं और ना ही उन्होंने कभी ब्रेल लिपि का प्रयोग किया. उन्होंने सिर्फ सुनकर शिक्षा हासिल की और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते रहे.
80 से अधिक पुस्तकों की रचना
इसी तरह, पंडित धीरेंद्र शास्त्री के गुरु ने 80 से अधिक पुस्तकों की रचना की. जिसमें दो संस्कृत और दो हिंदी के महाकाव्य भी शामिल हैं. जगद्गुरु रामभद्राचार्य को संस्कृत और हिंदी के अलावा अवधी, मिथला सहित 22 भाषाओं का ज्ञान है. रामभद्राचार्य को तुलसीदास पर देश के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है.
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद केस से रामभद्राचार्य का लिंक
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का नाम राम मंदिर-बाबरी मस्जिद केस में भी आता है. उन्होंने इस केस में सुप्रीम कोर्ट में गवाही दी थी. श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वे वादी के तौर पर उपस्थित हुए थे. कई पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है. 2005 में उन्हें साहित्य कला अकादमी पुरस्कार मिला था. वहीं भारत सरकार ने 2015 में रामभद्राचार्य को पद्म विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया था.
धीरेंद्र शास्त्री पर क्या बोले रामभद्राचार्य?
हाल के विवादों के मद्देनजर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अपने चेले धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया है. एक न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मेरा चेला अच्छा है. अच्छा काम करने पर सवाल उठाए जाते हैं. मेरा चेला परंपरा से मिला प्रसाद बांटता है. श्याम मानव ने अंधविश्वास की गलत शिकायत की. जब अजमेर शरीफ पर चादर चढ़ाई जाती है तब अंधविश्वास नहीं है क्या? ये सत्य है अंधविश्वास नहीं." उन्होंने आगे कहा, "विवाद इसलिए खड़ा जा रहा है, क्योंकि अच्छे लोगों की उन्नति लोग देख नहीं पाते हैं. वह छोटा सा बालक है, उसका उत्कृर्ष लोग देख नहीं पा रहे हैं."
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