Mughal Emperor Bahadur Shah Zafar: इस देश पर मुगलों ने कई सौ सालों तक राज किया और तमाम युद्ध भी जीते लेकिन मुगलों का एक बादशाह ऐसा भी था जिसे अंग्रेजों ने आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करके गिरफ्तार किया. इतना ही नहीं अंग्रेज अफसरों ने उसके बेटों की हत्या उसके सामने ही कर दी लेकिन वो कुछ नहीं कर सका. इस बादशाह का नाम है बहादुर शाह जफर और आज मंगलवार (07 नवंबर) को उसकी पुण्यतिथि है.


एक बदनसीब बादशाह कहे जाने वाले बहादुर शाह जफर मुगलों के आखिरी बादशाह थे. साल 1857 में हुई क्रांति को अंग्रेजों ने रोक लिया था और इसके बाद बहादुर शाह जफर के साथ उसके तीन बेटों को गिरफ्तार कर लिया. इसी दौरान अंग्रेजों ने बादशाह के सामने ही उसके तीनों बेटों को गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी थी और वो कुछ न कर सके. उस समय बहादुर शाह जफर की उम्र 80 साल से ऊपर की हो चुकी थी और बुढ़ापे में उनको अपने ही बेटों की लाशें देखनी पड़ीं.


अंग्रेजों ने आत्मसमर्पण करने के लिए किया मजबूर


बहादुर शाह जफर को साल 1857 में 20 सितंबर को अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था. दरअसल इसी साल मई के महीने में आजादी की पहली लड़ाई शुरू हुई थी और अंग्रेजों ने दिल्ली की घेराबंदी भी करनी शुरू कर दी थी. 14 सितंबर को अंग्रेजों की फतह हुई और उन्होंने दिल्ली पर कब्जा कर लिया. इसके बाद बहादुर शाह जफर को लाल किला छोड़ना पड़ा और 20 सितंबर को आखिरकार आत्मसमर्पण करना पड़ा.


कैसे गिरफ्तार हुए बहादुर शाह जफर?


1857 में जब अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया तो अंग्रेजों के कम से कम 100 सैनिक बहादुर शाह जफर को गिरफ्तार करने के लिए निकले. जान बख्शने की शर्त पर बहादुरशाह, बेगम जीनतमहल ने आत्मसमर्पण कर दिया. इससे पहले अंग्रेज अधिकारी का बहादुर शाह जफर का आमना-सामना हुआ तो जफर ने उससे पूछा कि क्या आप आत्मसमर्पण के बदले मेरी जान बख्श देंगे तो इसके जवाब में उसने कहा कि हां अगर आप ऐसा करेंगे तो आपकी जान बख्श दी जाएगी. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता और 1858 में रंगून (म्यांमार) भेज दिया जाता है. यहीं उनकी मौत भी हो जाती है.


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