Bahraich Violence: यूपी के बहराइच में बुलडोजर एक्शन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. बहराइच हिंसा के तीन आरोपियों की तरफ से याचिका दायर कर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया गया है. याचिका में कहा गया कि बुलडोजर एक्शन पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर यूपी सरकार सजा देने की भावना से यह कार्रवाई कर रही है. सिर्फ दिखावे के लिए कार्रवाई से पहले नोटिस जारी किया गया है. लोगों को अपने पक्ष में बात रखने का ठीक से मौका तक नहीं दिया गया.


बहराइच में दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा में रामगोपाल मिश्रा नाम के युवक की हत्या हुई थी. उसके बाद से पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस बीच प्रशासन ने भी 23 घरों को अतिक्रमण बता कर नोटिस जारी कर दिया है. नोटिस में लोगों को अवैध निर्माण हटाने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है. इसके बाद से वहां हड़कंप मचा हुआ है.


10 से 70 साल पुराने हैं मकान


हिंसा के आरोपी अब्दुल हमीद की बेटी स्वालिहा और दो आरोपियों मोहम्मद अकरम और मोहम्मद निजाम की याचिका में कहा गया है कि यह सभी मकान 10 से 70 साल तक पुराने हैं. सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में बुलडोजर एक्शन पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा था कि सड़क को बाधित करते हुए अवैध निर्माण को कोई रियायत नहीं मिलेगी, लेकिन यह मकान गांव की सड़क के बीच के हिस्से से 60 फुट दूर हैं.


17 नवंबर थी नोटिस पर तारीख


याचिका में कहा गया कि प्रशासन ने 18 नवंबर को बहराइच के महाराजगंज, महसी इलाके के 23 मकानों को आवेदन बताते हुए नोटिस चिपका दिया. हालांकि, नोटिस में तारीख 17 नवंबर की लिखी गई थी. लोगों को तीन दिन का समय देते हुए 20 नवंबर को बुलडोजर एक्शन को बात कही गई. यह अतिक्रमण विरोधी अभियान की जगह लोगों को दंड देने की भावना से उठाया हुआ कदम है, जबकि कोर्ट यह कह चुका है कि किसी पर अपराध का आरोप लगाना, उसके मकान को गिराने का आधार नहीं हो सकता.


सोमवार सुबह हो सकती है सुनवाई


याचिकाकर्ताओं के वकील ने एबीपी न्यूज को बताया कि मामले में आपात स्थिति को देखते हुए वह रविवार को ही सुनवाई का प्रयास कर रहे हैं. अगर सुनवाई नहीं हो पाती है तो सोमवार सुबह कोर्ट का काम शुरू होते ही इस मामले को रखेंगे और रोक की मांग करेंगे.


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