(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
रिया चक्रवर्ती और शौविक की जमानत याचिका पर सुनवाई जारी, जानें लंच ब्रेक तक क्या-क्या हुआ?
बासित के वकील ने दलील देते हुए कहा कि इन पांचों आरोपियों में किसी के पास से कोई बरामदगी नहीं हुई है और सभी लोगों के बयान में एक चीज समान है कि वह ड्रग सुशांत सिंह राजपूत के लिए आता था.
मुंबईः ड्रग्स केस में फंसी रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शौविक चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है और उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट पहले एनडीपीएस एक्ट के सेक्शन 37 पर गौर कर रही है क्योंकि वह भी एक बड़ा आधार था जिसके आधार पर निचली अदालतों से जमानत नहीं मिली थी.
धारा 37 कहती है कि अगर जांच एजेंसी इस धारा के तहत किसी को जमानत न देने की मांग करती है तो निचली अदालतों को जांच एजेंसी उसकी बातों को और ज्यादा गंभीरता से लेना पड़ेगा जब तक डालते हैं इस बात को लेकर संतुष्ट नहीं हो जाती कि आरोपी के ऊपर लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है तब तक जमानत नहीं दी जा सकती.
बासित परिहार के वकील अदालत में अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं और पहली याचिका बासित की ही है. रिया की 4 और शौविक कि 5 है. लेकिन सभी मामलों की सुनवाई एक साथ ही होगी. एक के बाद एक वकील दलील पेश करेंगे. ऐसे सभी धाराओं में जहां पर सजा 1 साल तक की होती है उन मामलों को बेलेबल ऑफेंस की श्रेणी में रखा जाता है. बासित परिहार का मामला भी उसी श्रेणी का है.
रिया के वकील ने भी अपनी दलीलें पेश करनी शुरू की और कहा कि अगर बरामदगी छोटी है तो ऐसे मामलों में ज़मानत दी जानी चाहिए. रिया के वकील ने कहा कि किसी भी मामले में सजा और धारा इस आधार पर तय होनी चाहिए कि आरोपी के खिलाफ क्या सबूत मिले हैं और एनडीपीएस एक्ट में तो ड्रग की क्वांटिटी का काफी महत्वपूर्ण जिक्र किया गया.
रिया के वकील का कहना है कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 उन्हीं मामलों में महत्वपूर्ण होती है जो वाकई में बहुत ज्यादा गंभीर हो जहां पर बड़ी मात्रा में ड्रग की बरामदगी हुई हो लेकिन यह मामला उनमें से नहीं है.
इस सबके बीच कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर धारा 37 नहीं लगती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि बाकी धाराओं में कोई गिरफ्तारी जमानती हो जाती है. और उनमें जमानत दी जा सकती है. एनसीबी के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा है कि एनडीपीएस एक्ट के अधिकतर मामलों में जमानत बिना पुख्ता आधार के नहीं दी जानी चाहिए. एनसीबी के वकील ने कहा कि जिस तरीके की दलीलें धारा 37 को लेकर रिया के वकील ने दी है वह ठीक नहीं है. एनसीबी के वकील ने कहा कि एनडीपीएस एक्ट के तहत हुए सभी अपराध गैर जमानती है. एनसीबी के वकील ने कहा की एनडीपीएस एक्ट के प्रावधान सीआरपीसी के प्रावधानों से अलग हैं. लिहाज़ा उनको अलग ही देखा जाना चाहिए.
इस बीच मिरांडा के वकील ने कहा कि रिया के वकील जो दलील दे रहे हैं उनकी भी वही दलीलें हैं. हत्या के मामले में सिर्फ एक परिवार पर उसका असर पड़ता है लेकिन ड्रग के मामलों में पूरा समाज बर्बाद होता है. सबके बीच कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले तो यही महत्वपूर्ण हो जाता है कि अगर धारा 37 के तहत ही अपराध आता है तो सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के मुताबिक तो वह वैसे ही गैर जमानती हो जाता है.
अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने अलग-अलग आरोपियों के वकील से कहा है कि आप की जो अपनी दलीलें हैं वह कोर्ट के सामने रख सकते हैं क्योंकि अभी तक कोर्ट इस मामले में जो बड़े पहलू हैं उन पर ही ध्यान केंद्रित कर रही थी.
और बासित परिहार के वकील कोर्ट के सामने अपनी दलीलें पेश करते हुए बोले कि इस मामले में बासित की गिरफ्तारी कैसे हुई और उसके ऊपर जो धाराएं लगाई गई हैं वह कैसे नहीं बनती. यानी पिछले 1 घंटे की सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने सिर्फ एनडीपीएस एक्ट और उससे जुड़े हुए बड़े और महत्वपूर्ण पहलुओं पर ही चर्चा हुई है.
बासित के वकील ने दलील देते हुए कहा कि इन पांचों आरोपियों में किसी के पास से कोई बरामदगी नहीं हुई है और सभी लोगों के बयान में एक चीज समान है कि वह ड्रग सुशांत सिंह राजपूत के लिए आता था. बासित के वकील ने दलील देते हुए कहा कि इस मामले में जो गिरफ्तारियां हुई है वह एक आरोपी के बयान के आधार पर दूसरी आरोपी की हुई है लेकिन कोई बड़ी बरामदगी अधिकतर लोगों के पास से नहीं हुई है.
इस दलील पर बंबई हाईकोर्ट ने सवाल पूछा तो आप यह कह रहे हैं कि यह पूरी एक चेन है जिस पर वकील ने दलील देते हुए कहा कि आरोप यह है कि यह पूरी चेन सुशांत सिंह राजपूत पर जाकर खत्म होती है. बासित के वकील ने कहा कि केशवानी के पास से जो ड्रग की बरामदगी हुई है क्या उसको सुशांत को ड्रग सप्लाई करने के मामले से जुड़ा जा सकता है. एनडीपीएस एक्ट में मात्रा सबसे महत्वपूर्ण है और यहां पर जांच एजेंसी मात्रा को लेकर कोई बात ही नहीं कर रही.
बासित के वकील का कहना है कि इस मामले में किसी भी आरोपी के निशानदेही पर कोई ड्रग की बरामदगी नहीं हुई है तो ऐसे में इन को जमानत देने से कैसे विरोध किया जा सकता है. हर साल देश में गुटखा और सिगरेट का सेवन करने वाले लोगों की मौतों की संख्या ड्रग का सेवन करने वाले लोगों की मौत से कहीं ज्यादा होती है.
एनसीबी ने इस मामले में बड़ी-बड़ी धाराएं तो जरूर लगा दी इन लेकिन ऐसा कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आया है कि आरोपी किसी बड़े ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा है. क्योंकि इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से 19 आरोपी तो छात्र हैं. अगर एक बार एनसीबी के आरोपों को सही भी मान लिया जाए तभी यह मामला ड्रग के सेवन का ही बनता है कहीं से ड्रग सिंडिकेट का नहीं.
इस मामले को जैसे पेश किया जा रहा है उससे उस शख्स की छवि को भी खासा नुकसान पहुंचाया जा रहा है जो अब इस दुनिया में नहीं है. उनका इशारा सुशांत सिंह राजपूत के लिए है. फाइनेंसिंग का मतलब खरीद-फरोख्त से अलग होता है. अगर एनसीबी के आरोपों को भी देखें तो इस मामले में सेवन के लिए खरीद फ़रोख्त जरूर किया गया लेकिन उसको फाइनेंसिंग से नहीं जोड़ा जा सकता.
वकील ने ये भी कहा कि जिस शख्स के लिए ड्रग मंगाने की बात हो रही है वह इस दुनिया में नहीं है. तो आखिर कैसे पता चलेगा कि क्या सच है और क्या झूठ है. अगर सिर्फ एनसीबी के सामने दर्ज हुए बयानों के आधार पर ही आरोपियों को आरोपी मानकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी तो फिर इससे तो काफी मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
रिया के वकील बता रहे हैं कि कैसे रिया सुशांत के संपर्क में आई, कैसे वह दोनों साथ में रहे, रिया सुशांत की गर्लफ्रेंड थीं लेकिन 8 जून के बाद से रिया और सुशांत में कोई संपर्क नहीं हुआ क्योंकि रिया 8 जून को अपने घर चली गई थीं. जब रिया सुशांत के साथ थी उस दौरान सुशांत ड्रग लेते थे और खुद डॉक्टरों ने भी सुशांत को दवा लेने को कहा था. लेकिन सुशांत लगातार ड्रग लेते रहे और इसी बात पर सुशांत और रिया की लड़ाई हुई जिसके बाद रिया घर छोड़कर चली गई. और रिया ने सुशांत का नंबर ब्लॉक कर दिया. रिया के वकील ने कोर्ट को यह भी बताया कि कैसे एनसीबी के पास मामला पहुंचा. ईडी ने एनसीबी को बताया और उसके बाद एनसीबी ने जांच शुरू की और उसी जांच में है रिया से पूछताछ हुई और रिया को गिरफ्तार किया गया. फिलहाल लंच ब्रेक हो गया है दोपहर 3:00 बजे से सुनवाई फिर जारी रहेगी.ये भी पढ़ें
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