बैसाखी 2019: आज देश में बैसाखी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी है. बैसाखी का पर्व हर साल अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है. इस त्योहार के मनाने के पीछे एक मान्यता ये है कि इस दौरान रबी की फसल कटने के लिए तैयारी हो जाती है.


खालसा पंथ और बैसाखी-
साल 1699 में बैसाखी के दिन ही सिखों के 10वें और अंतिम गुरु गोबिंद सिंह ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी. मान्यता ये भी है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.


पंजाब और हरियामा में बैसाखी का महत्व-
वैसे तो पूरे उत्तर भारत में बैसाखी का त्योहार जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस त्योहार की रौनक पंजाब और हरियाणा में कुछ अलग ही होती है. इस दिन यहां के लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं और गुरुद्वारों को सजाया जाता है. यहां भजन-कीर्तन कराया जाता है. घरों में पकवान बनाए जाते हैं और समस्त परिवार के लोग एक साथ बैठकर खाना खाते हैं.


अलग-अलग राज्यों में बैसाखी के अलग नाम-
बैसाखी कृषि से संबंधित त्योहार है और इसी के समान त्योहार देश के बाकी हिस्सों में भी मनाया जाता है, लेकिन उसके नाम अलग हैं. असम में इसे बिहू कहा जाता है जबकि पश्चिम बंगाल में इसे पोइला कहा जाता है. केरल में इस त्योहार को विशु कहा जाता है. बता दें कि बैसाखी के दिन ही सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं.


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