'ऑपरेशन बंदर' नाम से हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक, नौसेना ने भी कर ली थी तैयारी- सूत्र
14 फरवरी को सीआरपीएफ काफिले पर आत्मघाती हमले के ठीक 12 दिनों बाद एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया था. पुलवामा हमले में करीब 40 जवान शहीद हो गए थे.
नई दिल्ली: बालाकोट में एयर-स्ट्राइक को भारतीय वायुसेना ने 'ऑपरेशन बंदर' कोडवर्ड दिया था. सूत्रों के मुताबिक, ये कोडनेम इसलिए दिया था ताकि किसी को इस एयर-स्ट्राइक की कानों-कान खबर ना लग सके. सूत्रों के मुताबिक, ये कोड इसलिए भी दिया था क्योंकि जिस तरह हनुमान जी ने लंका पहुंचकर आग लगा दी थी और दुश्मन के हौंसलें पस्त कर दिए थे ठीक उसी तरह वायुसेना के मिराज2000 लड़ाकू विमानों को बालाकोट में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के ट्रैनिंग कैंप को नष्ट करना था. जिन इजरायली प्रेशिसयन बम, स्पाईस का इस्तेमाल किया गया था वो भी अपने टारगेट को पूरी तरह जला देता है.
आपको बता दें कि इस ऑपरेशन बंदर में वायुसेना के करीब 5000 वायुसैनिक और अधिकारियों को शामिल किया गया था. इतनी बड़ी तादाद में वायुसैनिकों को शामिल करने से ऑपरेशन की जानकारी लीक होने का अंदेशा था, इसलिए इसे गुप्त नाम दिया गया था. हाल ही में चुनाव के दौरान, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी खुलासा किया था कि उन्होनें 'जय बजरंग बली' कहकर एयर-स्ट्राइक करने की इजाजत दी थी. क्योंकि उस रात आसमान में बादल घिरे हुए थे.
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना ने भी अपनी तैयारियों को कोडवर्ड दिया था. ये नाम था 'जाफरान' (यानि केसर). बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत को अंदेशा था कि पाकिस्तान सीमा पर (और एलओसी) पर कोई सैन्य कारवाई ना कर दे इसके लिए सेना को अपनी सीमाएं तो सुरक्षित रखनी ही थी साथ ही पाकिस्तान में घुसकर हमला करने के भी तैयारी की गई थी.
जानकारी के मुताबिक, बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान भारतीय नौसेना अरब सागर में 'ट्रोपेक्स' एक्सरसाइज कर रही थी. इसलिए नौसेना के युद्धपोतों और पनडुब्बियों को सीधे पाकिस्तान की तरफ मोड़ दिया गया था ताकि जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान के सी-रूट (समुद्री रास्ते) रोककर ईकनोमिक-ब्लोकेड कर दिया जाए.