Bamboo Crash Barrier: 'दुनिया का पहला' बांस क्रैश बैरियर महाराष्ट्र में लगाया गया, नाम है 'बहू बल्ली', जानें इसके बारे में
Bamboo Sector: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बांस बैरियर का रीसाइक्लिंग मूल्य 50-70 प्रतिशत है, जबकि स्टील बैरियर का 30-50 प्रतिशत है.

Union Minister Nitin Gadkari: केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार (4 मार्च) को कहा कि महाराष्ट्र में चंद्रपुर और यवतमाल जिलों को जोड़ने वाले एक राजमार्ग पर 200 मीटर लंबा बांस क्रैश बैरियर लगाया गया है. उन्होंने इसे "दुनिया का पहला" ऐसा अभ्यास बताया.
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने इसे देश और इसके बांस क्षेत्र के लिए एक "उल्लेखनीय उपलब्धि" बताया. उन्होंने कहा कि यह क्रैश बैरियर स्टील का एक सही विकल्प प्रदान करता है और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करता है. नितिन गडकरी ने एक ट्वीट करके कहा, "दुनिया के पहले 200 मीटर लंबे बांस क्रैश बैरियर के विकास के साथ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में असाधारण उपलब्धि हासिल की गई है. इसे वाणी-वरोरा राजमार्ग पर स्थापित किया गया है." सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि इस बांस के क्रैश बैरियर को "बहू बल्ली" नाम दिया गया है.
कठोर परीक्षण किया गया
मंत्री नितिन गडकरी ने एक दूसरे ट्वीट में कहा, "इंदौर के पीथमपुर में नेशनल ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक्स (NATRAX) जैसे विभिन्न सरकारी संस्थानों में इसका कठोर परीक्षण किया गया और रुड़की में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) में आयोजित फायर रेटिंग टेस्ट के दौरान इसे कक्षा एक का दर्जा दिया. इसके अलावा, इसे इंडियन रोड कांग्रेस की ओर से भी मान्यता दी गई है."
An extraordinary accomplishment towards achieving #AatmanirbharBharat has been made with the development of the world's first 200-meter-long Bamboo Crash Barrier, which has been installed on the Vani-Warora Highway. pic.twitter.com/BPEUhF7l2P
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) March 4, 2023
रीसाइक्लिंग मूल्य 50-70 प्रतिशत
गडकरी ने कहा कि बांस बैरियर का रीसाइक्लिंग मूल्य 50-70 प्रतिशत है, जबकि स्टील बैरियर का 30-50 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, "इस बैरियर को बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली बांस की प्रजाति बंबूसा बालकोआ है. इसे क्रेओसोट तेल से उपचारित किया गया है और रिसाइकिल हाई-डेंसिटी पॉली एथिलीन (एचडीपीई) के साथ कोटेड किया गया है. यह उपलब्धि बांस क्षेत्र और पूरे भारत के लिए उल्लेखनीय है, क्योंकि यह क्रैश बैरियर स्टील का एक सही विकल्प प्रदान करता है और पर्यावरण संबंधी चिंताओं और उनके परिणामों को संबोधित करता है."
गडकरी ने कहा, इसके अलावा, यह अपने आप में एक ग्रामीण और कृषि-अनुकूल उद्योग है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण मील का पत्थर बनाता है,"
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