अजमेर: विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान ने बड़ा बयान दिया है. दीवान ने खुद तो गोवंश के मांस का त्याग करने का एलान किया ही है, मुस्लिम समाज के लोगों से भी गोवंश का मांस नहीं खाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि गौवंश हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक है तो सभी धर्मो के मानने वालों को इसकी रक्षा करनी चाहिए.
अजमेर में चल रहे सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 805वें सालाना उर्स का समापन आज चार अप्रैल को कुल की रस्म के साथ हो गया. इस सभा को संबोधित करते हुए दीवान आबेदीन ने कहा, ‘’मैं और मेरा परिवार आज से ही गौवंश के मांस के सेवन को त्याग करने की घोषणा करता हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘’मैं इसके साथ ही देश के मुसलमानों से भी अपील करता हूं कि साम्प्रदायिक सद्भावना के खातिर कोई भी मुसलमान गौवंश का मांस न खाए.’’ उन्होंने कहा, ‘’भारत में गंगा-जमुनी तहजीब है और हिन्दू और मुसलमान इसी तहजीब के साथ रहते हैं. ऐसे में मुसलमानों को किसी भी विवाद की जड़ को ही खत्म कर देना चाहिए.’’
दीवान आबेदीन ने सरकार से भी मांग की कि वह गौवंश के पशुओं के मांस की बिक्री पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दे. उन्होंने कहा, ‘’हाल ही में गुजरात सरकार ने गौ मांस को लेकर उम्रकैद का जो प्रावधान किया है, उसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए.’’
दरगाह के दीवान ने कहा, ‘’सिर्फ गौवंश ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के जानवरों की हत्या पर रोक लगनी चाहिए. मैं देशवासियों से अपील करता हूं कि वे किसी भी कारण से जानवर को नहीं काटे.’’ उन्होंने कहा, ‘’उनके पूर्वज ख्वाजा साहब ने भी देश की संस्कृति को इस्लाम के नियमों के साथ अपनाया और मुल्क में अमन और शांति का संदेश दिया.’’ उन्होंने कहा कि गौवंश हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक है तो सभी धर्मो के मानने वालों को इसकी रक्षा करनी चाहिए.’’
तीन तलाक पवित्र कुरान की भावनाओं के खिलाफ
दीवान आबेदीन ने स्पष्ट कहा, ‘’तीन तलाक पवित्र कुरान की भावनाओं के खिलाफ है. कुरान में तलाक को अति अवांछनीय माना गया है. जब निकाह लड़के और लड़की की रजामंदी से होता है तो तलाक के मामले में भी स्त्री के साथ विस्तृत संवाद होना ही चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ‘’पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब ने कहा था कि अल्लाह को तलाक सख्त नापसंद है. कुरान की आयतों में कहा गया है कि अगर पति-पत्नी में क्लेश हो तो उसे बातचीत के द्वारा सुलझाने की कोशिश की जानी चाहिए. जरूरत पडऩे पर समाधान के लिए दोनों परिवारों से एक-एक मध्यस्थ भी नियुक्त करें. समाधान की यह कोशिश कम से कम 90 दिन होनी चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ‘’अपनी बीबी को तलाक देने से पहले मर्दो को सौ बार सोचना चाहिए.’’ दीवान आबेदीन ने कहा कि आज आम मुसलमान भी शिक्षा, रोजगार, तरक्की और खुशहाली चाहता है. मुस्लिम लड़कियां पढऩा और आगे बढऩा चाहती हैं. वे कुरान व संविधान सम्मत दोनो ही अधिकार चाहती हैं.’’