नई दिल्ली: चांद तारे वाले हरे झंडे पर भारत में पाबंदी लगे, ये मांग यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने की है. रिज़वी ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. रिज़वी ने कहा है कि इस झंडे को इस्लामिक झंडा बता कर लोगों को गुमराह किया जाता है जबकि इसका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं. पैगंबर मोहम्मद जब मक्का गए, तब उनके हाथ में सफेद झंडा था. मध्य युग में भी इस्लामिक फौजों के अलग-अलग झंडे होते थे. चांद तारे वाले हरे झंडे का 1906 से पहले कोई वजूद नहीं था.


जिन्ना की मुस्लिम लीग का झंडा


याचिका में कहा गया है कि 1906 में ढाका में इसे मुस्लिम लीग के झंडे के तौर पर डिजाइन किया गया. बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने इसमें मामूली बदलाव कर इसे राष्ट्रीय ध्वज बनाया. अब भी पाकिस्तान मुस्लिम लीग कायदे-आज़म नाम की पार्टी इसी झंडे का इस्तेमाल करती है.


झंडा लगाने वालों पर कार्रवाई हो


वसीम रिज़वी के मुताबिक कट्टर और पाकिस्तानपरस्त लोगों ने भ्रम फैलाया है कि ये इस्लामिक झंडा है. ज़्यादातर लोगों को सच्चाई पता नहीं. उनके मकानों में कुछ स्वार्थी लोग ये झंडा लगा जाते हैं. वो इसे धार्मिक झंडा समझ कर लगा रहने देते हैं. मुस्लिम बस्तियों में भी यहां वहां इस झंडे को लगा दिया जाता है.


याचिका में पाकिस्तान को भारत का शत्रु राष्ट्र बताया गया है. कहा गया है कि पाकिस्तान की किसी पार्टी का झंडा लगाना देश विरोधी गतिविधि है. ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.


सांप्रदायिक तनाव की बड़ी वजह


याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम इलाकों में अज्ञानतावश लोग ये झंडा लगाते हैं. इसे अक्सर हिन्दू पाकिस्तान का झंडा समझ लेते हैं. ये सांप्रदायिक तनाव की वजह बनता है. ये याचिका आज ही दाखिल हुई है. इस पर अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है.