देश में मौजूद कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण अभी भी कई जगहों पर धार्मिक कार्यों पर प्रतिबंध लगा हुआ है. हाल ही में ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ यात्रा का आयोजन किया गया था. इस यात्रा में जहां पिछले साल की तरह ही इस साल भी श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति नहीं मिली थी. वहीं ओडिशा में एक बार फिर से लगातार दूसरे साल शिव भक्तों की 'बोल बम यात्रा' पर रोक लगा दी गई है.


'बोल बम यात्रा' पर लगी रोक


ओडिशा में मौजूदा कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने मंगलवार को "कौडिया" या "बोल बोम" भक्तों की कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है. राज्य सरकार की ओर से "बोल बोम" भक्तों की धार्मिक गतिविधियों और सभाओं पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया गया है.


ओडिशा के मुख्य सचिव द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि COVID-19 स्थिति के आकलन के बाद राज्य में धार्मिक मण्डली "बोल बोम जात्रा" पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया. उनके दिए गए आदेश में कहा गया है कि "बोल बोम" भक्तों को नदियों, तालाबों, और अन्य जल निकायों से पानी इकट्ठा करने और किसी भी सार्वजनिक सड़क पर चलने की अनुमति नहीं है.  


कोरोना संक्रमण के कारण आदेश जारी


मुख्य सचिव का कहना है कि ऐसा लगातार दूसरे साल हो रहा है जब राज्य सरकार ने इस बार COVID-19 की तीसरी लहर की संभावना के कारण "बोल बम जात्रा" पर प्रतिबंध लगा दिया है. फिलहाल सरकार ने पहले ही 16 जुलाई 2021 तक धार्मिक कार्यों और अन्य समारोहों पर रोक लगा रखी है. इसके तहत सभी धार्मिक स्थल आम जनता के लिए बंद हैं.


बता दें कि हर साल तीर्थयात्रा के दौरान "कौडिया" पवित्र जल को पवित्र करने के लिए "बोल बोम" का जाप करते हुए कई ग्रुप में नंगे पैर मीलों की यात्रा करते हैं. "श्रवण" के महीने में हर सोमवार को भक्त शनिवार और रविवार को शिव मंदिरों में पवित्र जल चढ़ाने के लिए अपनी नंगे पैर यात्रा शुरू करते हैं.


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