घाटी की हालत बदलने के लिए आगे आई सेना- 'चाय पर गुफ्तगू' कार्यक्रम के तहत जवान-आवाम की हो रही है दोस्ती
घाटी की हालत बदलने के लिए सेना ने कमर कस ली है. सेना की ओर से 'चाय पर गुफ्तगू' कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत सेना के जवान गांवों में जाकर लोगों से मुलाकात कर रही है साथ ही वहां कार्यक्रम का आयोजन कर दोस्ताना माहौल तैयार कर रही है.
श्रीनगरः जम्मू कश्मीर में हालात को बदलने के लिए प्रशासन पुरजोर कोशिश में लगी हुई है वहीं इस काम में सेना भी कमर कस चुकी है. सेना ने आवाम और जवान के बीच की दूरी को कम करने और लोगों का भरोसा जीतने के लिए 'चाय पर गुफ्तगू' कार्यक्रम की शुरुआत की है. इस कार्यक्रम की शुरुआत सेना की 13 राष्ट्रीय राइफल्स ने बांदीपोरा के दूर-दराज़ के इलाके चिट्टीबांदी में आम लोगो के साथ मिलकर चाय पर मुलाक़ात कार्यक्रम का आयोजन किया. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ो के बीच बसे चिट्टीबांदी के चांपल गांव में सेना ने इस कार्यक्रम को संपन्न किया.
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों और स्कूली छात्रों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम के दौरन मौजूद लौगों ने जमकर मस्ती की. इस मौके पर गीत संगीत के साथ-साथ खाने-पीने का भी इंतजाम किया गया था. खाने में खास तौर पर कश्मीरी भोजन को रखा गया था. कार्यक्रम के बाद लोगों ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम से सेना-आवाम के बीच की दूरी कम होगी और साथ ही गांवों का विकास भी होगा.
बांदीपोरा के जिस गांव में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. वह गुज्जर बहुल है. इस गांव में अनुसूचित जनजाति के लोग ज्यादा रहते हैं. इस लिए लोगो को उम्मीद है कि सेना की तरफ से ऐसे कार्यक्रम सिर्फ एक बार नहीं हर महीने होने चाहिए ताकि उनके लिए कोई अच्छा काम हो सके.
सेना की तरफ से यह कार्यक्रम ऑपरेशन सद्भावना के तहत चलाया जाता है जिसका मकसद है स्थानीय इलाके का विकास. लेकिन अब सेना इस कार्यक्रम के तहत दूर दराज़ के इलाके के बच्चों को शिक्षा और रोज़गार के बारे में काउंसलिंग भी करती है ताकि विकास का फायदा उठा सके.
इस कार्यक्रम में शामिल 14 वर्षिय साहिल ने बताया कि वह इस बात से खुश है की उसने न सिर्फ मौज मस्ती की बल्कि जीवन में आगे क्या करना है इस बात की भी जानकारी उसे मिली. साथ ही सेना की ओर से आगे के लिए मदद का भी भरोसा दिया गया.
चिट्टीबांदी के सरपंच मोहम्मद असलम के बताया कि उनका इलाका काफी पिछड़ा हुआ है और ऐसे कर्यक्रम से यहां के लोगों को कश्मीर संस्कृति के बारे में जानकारी भी मिल जाती है और गांव का विकास भी हो जाएगा.