मुंबई: मुंबई के बांद्रा इलाके में हजारों की भीड़ इकट्ठा होने के मुद्दे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि लोगों के मन में था कि 14 अप्रैल के बाद ट्रेन चलेगी. ये अफवाह उड़ी और लोग इकट्ठा होने लगे. हम बाहरी मजदूरों के लिए खाने का इंतजाम कर रहे हैं, अन्य इंतजाम भी किया जा रहा है. डरने की कोई जरूरत नहीं है. किसी को भी घर जाने की जरूरत नहीं है. हम सभी के लिए इंतजाम कर रहे हैं.


उन्होंने कहा कि लोगों की भावनाओं के साथ खेलकर किसी ने कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की तो कड़ी कार्रवाई होगी. कोई भड़काने का काम नहीं करे.


मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र ने कोरोना वायरस से संक्रमण के लिए सबसे ज्यादा नमूनों की जांच की है. उन्होंने कहा, ''महाराष्ट्र में 2,334 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि, उनमें से 230 इलाज के बाद संक्रमण मुक्त हुए, जबकि 32 लोगों की हालत गंभीर लेकिन स्थिर बनी हुई है.''


दरअसल, कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा करने के कुछ ही घंटे बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बांद्रा में सड़क पर आ गए और मांग की कि उन्हें उनके मूल स्थानों को जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की जाए. ये सभी प्रवासी मजदूर दिहाड़ी मजदूर हैं.


कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए पिछले महीने लॉकडाउन लागू होने के बाद से दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. इससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.


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हालाँकि अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों ने उनके भोजन की व्यवस्था की है, लेकिन उनमें से अधिकतर पाबंदियों के चलते हो रही दिक्कतों के चलते अपने मूल स्थानों को वापस जाना चाहते हैं.


पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार करीब 1000 दिहाड़ी मजदूर अपराह्न करीब तीन बजे रेलवे स्टेशन के पास मुंबई उपनगरीय क्षेत्र बांद्रा (पश्चिम) बस डिपो पर एकत्रित हो गए और सड़क पर बैठ गए.


दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराए पर रहते हैं, वे परिवहन सुविधा की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने मूल नगरों और गांवों को वापस जा सकें. वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रहने वाले हैं.


एक मजदूर ने अपना नाम बताये बिना कहा कि एनजीओ और स्थानीय निवासी प्रवासी मजदूरों को भोजन मुहैया करा रहे हैं लेकिन वे लॉकडाउन के दौरान अपने मूल राज्यों को वापस जाना चाहते हैं क्योंकि बंद से उनकी आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है.


उसने कहा, ‘‘अब, हम भोजन नहीं चाहते हैं, हम अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, हम (लॉकडाउन बढ़ाने की) घोषणा से खुश नहीं हैं.’’


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