Explained: हत्या, आतंकी हमले, जहां-जहां हुई हिंसा वहां-वहां PFI, जानें साजिश का पूरा सिलसिला
Ban On PFI: पीएफआई का जब भी नाम सामने आया है उसके साथ विवाद जरूर जुड़ा रहा. देश के कई हिस्सों में किसी की हत्या हुई या कोई आतंकी घटना हुई हो.. तो आइए जानते हैं इन विवादों को.
PFI Ban In India: देश के अलग-अलग हिस्सों में दंगा, हिंसा और हत्याओं में जिस एक संगठन का नाम बार-बार आता है, वही संगठन एक बार फिर विवादों में आया और इस बार उस पर बैन लगा दिया गया. इस संगठन का नाम है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI. पीएफआई पर अब तक का सबसे बड़ा एक्शन देखने को मिला है. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए ने देश के कई राज्यों में इस संगठन के ठिकानों पर छापेमारी की और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया. पीएफआई का विवादों से पुराना नाता रहा है और हत्या से लेकर दंगों तक में इसका नाम आता रहा है.
उत्तर से दक्षिण भारत तक जब भी कोई बड़ा कांड होता तो सबसे पहले पीएफआई का नाम सामने आता. दिल्ली में सीएए प्रोटेस्ट, शाहीनबाग हिंसा, जहांगीरपुरी हिंसा से लेकर हाल के महीनों में हुई कानपुर हिंसा, राजस्थान की करौली हिंसा, मध्य प्रदेश के खरगौन में हिंसा और बेंगलुरु में हिंसा के साथ-साथ बीजेपी नेता की हत्या समेत देशभर में कई हिंसाओं-हत्याओं में इस विवादित संगठन का नाम सामने आ चुका है.
पीएफआई कब-कब विवादों में आया ये जानें उससे पहले ये जान लेते हैं कि ये है क्या, कहां इसकी नींव पड़ी और इसका काम क्या है.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था. इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए. PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है. शुरू में पीएफआई का मुख्यालय केरल के कोझिकोड में था लेकिन बाद में उसे दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया था. पीएफआई के अध्यक्ष ओएमए अब्दुल सलाम हैं और ईएम अब्दुल रहिमन इसे उपाध्यक्ष हैं. हर साल 15 अगस्त को यह संगठन फ्रीडम परेड आयोजित करता है लेकिन 2013 में केरल सरकार ने परेड पर रोक लगा दी थी. पीएफआई की वर्दी भी है, जिसमें पुलिस की तरह सितारे और एंबलम लगे हैं.
PFI के गठन के वक्त प्रतिबंधित आतंकी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के सदस्य पीएफआई में शामिल थे. तत्कालीन पीएफआई अध्यक्ष अब्दुल रहमान कभी सिमी के राष्ट्रीय सचिव थे और पीएफआई के राज्य सचिव अब्दुल हमीद भी सिमी के सचिव रह चुके थे. इसके अलावा, पीएफआई के संस्थापक सदस्यों में सिमी का महासचिव ईएम रहीमन, केरल में सिमी इकाई का अध्यक्ष ई अबूबकर और प्रोफेसर पी कोया शामिल थे.
सिमी का गठन अप्रैल 1977 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था. पीएफआई खुद को न्याय, स्वतंत्रता और लोगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने वाला एक नव-सामाजिक संगठन बताता है. संगठन मुस्लिम आरक्षण की वकालत करता है. 2012 में पीएफआई ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के इस्तेमाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. संगठन का कहना था कि कानून का इस्तेमाल निर्दोष लोगों को हिरासत में लेने के लिए किया जा रहा है.
ये तो हुई पीएफआई के गठन की बात. अब आते हैं असल मुद्दे पर जो हैं इस संगठन की करतूतें. पीएफआई का जब भी नाम सामने आया है उसके साथ विवाद जरूर जुड़ा रहा होगा. तो आइए जानते हैं इन विवादों को.
पीएफआई की कहां-कहां रही संलिप्तता
पीएफआई के कार्यकर्ता कई आतंकवादी गतिविधियों के साथ-साथ कई लोगों की हत्याओं में शामिल रहे हैं. इनमें संजीत (केरल, नवंबर, 2021), वी. रामलिंगम, (तमिलनाडु, 2019), नंदू, (केरल, 2021), अभिमन्यु (केरल, 2018), बिबिन (केरल, 2017), शरथ (कर्नाटक, 2017), आर. रुद्रेश (कर्नाटक, 2016), प्रवीण पुजारी (कर्नाटक, 2016), शशि कुमार (तमिलनाडु, 2016) और प्रवीण नेट्टारू (कर्नाटक, 2022) व्यक्तियों की हत्या शामिल है. इन हत्याओं को अंजाम पीएफआई कार्यकर्ताओं ने दिया है. इस संगठन का काम सिर्फ सार्वजनिक शांति भंग करना और लोगों के मन में आतंक का खौफ पैदा करना रहा.
पीएफआई का दूसरा नाम विवाद
पीएफाआई को अगर विवाद का दूसरा नाम कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इस संगठन के कार्यकर्ताओं पर आतंकी संगठनों से कनेक्शन लेकर हत्याएं तक के आरोप लगते रहे हैं.
- साल 2012 में केरल सरकार ने हाईकोर्ट में बताया था कि हत्या के 27 मामलों से PFI का सीधा-सीधा कनेक्शन है. इनमें से ज्यादातर मामले RSS और CPM के कार्यकर्ताओं की हत्या से जुड़े थे. केरल सरकार ने हाईकोर्ट में बताया था कि PFI और कुछ नहीं, बल्कि प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का ही नया रूप है.
- PFI के कार्यकर्ताओं के अलकायदा और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों से लिंक होने के आरोप भी लगते रहे हैं. हालांकि, PFI खुद को दलितों और मुसलमानों के हक में लड़ने वाला संगठन होने का दावा करता है. साल 2010 में इस संगठन SIMI से कनेक्शन के आरोप लगे थे.
- उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात सरकार तो इस संगठन को बैन करने की मांग पहले ही कर चुके हैं.
- 2014 में केरल सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि एनडीएफ और पीएफआई के कार्यकर्ता 27 सांप्रदायिक हत्याओं, 86 हत्या के प्रयास के मामलों और राज्य में दर्ज 106 सांप्रदायिक मामलों में शामिल थे. आबिद पाशा नाम के एक बढ़ई को हत्या के छह मामलों में गिरफ्तार किया गया था. उसके पीएफआई के साथ संबंध थे.
- नवंबर 2017 में केरल पुलिस ने पीएफआई के 6 सदस्यों की पहचान की, जो खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल हो गए थे, जो संभवत: नकली पासपोर्ट का उपयोग करके सीरिया चले गए थे.
- फरवरी 2019 में धर्मांतरण गतिविधियों के बारे में कुछ मुसलमानों के साथ बहस के बाद पीएमके के सदस्य रामलिंगम की हत्या कर दी गई थी, जिसके लिए पीएफआई के एक सदस्य को गिरफ्तार किया गया था. मामले में अगस्त 2019 में पीएफआई के 18 सदस्यों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे.
- 2017 में इंडिया टुडे ने पीएफआई के संस्थापक सदस्य अहमद शरीफ का स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें उसने मीडिल ईस्ट के देशों से हवाला चैनल के जरिये संगठन को फंड मिलने की बात स्वीकारी थी और कहा था कि भारत ही नहीं, पूरी दुनिया को इस्लामिक बनाना चाहता है.
- 2020 में नागरिकता संसोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में संगठन का नाम आया. देशभर में हुए विरोध प्रदर्शनों की फंडिंग करने का आरोप पीएफआई पर लगा था. पटना के फुलवारी शरीफ में 'गजवा-ए-हिंद' साजिश का भंडाफोड़ किया गया.
- इसी साल चार जुलाई को तेलंगाना के निजामाबाद थाने में पीएफआई से जुड़े 25 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. एफआईआर में बताया गया कि आरोपी हिंसक-आतंकी कार्यों में संलिप्त थे और धर्म के आधार पर समाज में हिंसा को बढ़ावा दे रहे थे. इसके लिए आरोपी प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहे थे. कराटे ट्रेनिंग के नाम पर लोगों को हथियार चलाना सिखाया जा रहा था.
- इसी साल कर्नाटक हिजाब विवाद और राज्य में बीजेपी के युवा नेता प्रवीण नेत्तारू की हत्या के मामले में पीएफआई का नाम आया था.
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