बांग्लादेश में हिंसा के बीच वापस भारत लौटे दूतावास के कई कर्मचारी, उच्चायोग में काम रहेगा जारी
Bangladesh Protest: भारत सरकार ने बांग्लादेश में स्थित अपने दूतावास और वाणिज्य दूतावासों से सभी गैर-ज़रूरी कर्मचारियों और उनके परिवारों को कामर्शियल फ्लाइटों के जरिए बाहर निकाल लिया है.
Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में जारी सियासी उथल-पुथल के बीच भारत ने बांग्लादेश स्थित अपने उच्चायोग और वाणिज्य दूतावास में तैनात गैरजरूरी कर्मचारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है. इसे लेकर सरकार ने एडवायजरी भी जारी की है. सूत्रों का कहना है भारत ने सभी गैर-ज़रूरी कर्मचारियों और उनके परिवारों को निकाल लिया है. यह कदम नौकरी में कोटा को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया है, जिसके कारण शेख हसीना को बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भागना पड़ा था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश स्थित भारतीय उच्चायोग अभी भी अपने कुछ कर्मचारियों के साथ काम कर रहा है, जबकि जो लोग भारत लौटे हैं, वे स्वैच्छिक आधार पर लौटे हैं. उथल-पुथल के बावजूद, ढाका स्थित भारत के सभी राजनयिक फिलहाल उच्चायोग में ही रहेंगे. ढाका में भारतीय उच्चायोग और वाणिज्य दूतावास में तैनात गैरजरूरी कर्मचारियों और उनके परिवारों की वापसी वाणिज्यिक उड़ान जरिए हुई है. सूत्रों ने बताया कि उच्चायोग में काम जारी रहेगा.
बांग्लादेश में फंसे भारतीयों को लाया गया वापस
सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए एयर इंडिया और इंडिगो ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका के लिए विशेष उड़ानें संचालित कीं. इसके जरिए 400 से ज्यादा लोगों को भारत वापस लाया गया. हालांकि, उच्चायोग में काम लगातार जारी रहेगा. जिसमें दूतावास के कर्मचारी इलाके फैली अशांति के बीच जरूरी संचालन को बनाए रख रहे हैं.
राजधानी में उच्चायोग के अलावा, चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट सहित कई अन्य शहरों में भारत के सहायक उच्चायोग या वाणिज्य दूतावास हैं.
बांग्लादेश में हुए हिंसक प्रदर्शन में 300 से ज्यादा लोगों की हुई मौत
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कुछ खास लोगों के एक वर्ग के लिए आरक्षण प्रणाली के खिलाफ जुलाई से छात्रों के विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे, जिसके बाद इन प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने की मांग की. अधिकारियों द्वारा भीड़ को तितर-बितर करने और पूरे देश में फैल रहे विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए बल प्रयोग करने के बाद लगभग 3300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई.
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