Bangladeshi Fact Checker Claims: भारत और बांग्लादेश के रिश्ते अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. बांग्लादेश लगातार एक के बाद एक ऐसे कदम उठा रहा है जिससे भारत को असहजता हो सकती है. इसी बीच बांग्लादेश की एक फैक्ट चेक वेबसाइट ने भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया को लेकर निशाना साधा है. ढाका स्थित तथ्य-जांच पहल रूमर स्कैनर ने भारतीय मीडिया पर प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली उनकी अंतरिम सरकार के बारे में गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया है.


इसने कहा कि बांग्लादेश के खिलाफ फर्जी और गलत सूचना फैलाने वाले 72 प्रतिशत सोशल मीडिया अकाउंट भारत में स्थित हैं. ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, "बांग्लादेश पर भारत की गलत सूचनाओं की बाढ़: असल में क्या हो रहा है?' शीर्षक वाली रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया.


भारत के सोशल मीडिया में फैल रही गलत जानकारियां


रिपोर्ट में कहा गया है कि रूमर स्कैनर की फैक्ट चेक यूनिट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 50 अकाउंट की पहचान की है, जिन्होंने कथित तौर पर 5 से 13 अगस्त के बीच बांग्लादेश में अगस्त की घटनाओं से संबंधित कई तस्वीर, वीडियो और सूचनाओं को प्रसारित किया. रिपोर्ट में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले का जिक्र किया गया था.


रिपोर्ट में कहा गया है कि इन पोस्ट को 15.4 मिलियन से अधिक बार देखा गया और कहा गया कि ये "गलत सूचनाएं कई अन्य अकाउंट और मीडिया पर उस समय की संख्या से 10 से 12 गुना अधिक लोगों तक पहुंचीं."


फैक्ट चेक में हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक हिंसा पर भी उठाए गए सवाल


रयूमर स्कैनर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हमले हुए थे, लेकिन इसकी वजह उनकी "राजनीतिक संबद्धता या शिकायतें" थीं. रयूमर स्कैनर ने कहा कि भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया ने इसे सांप्रदायिक हमले के रूप में गलत तरीके से प्रचारित किया.


रूमर स्कैनर की रिपोर्ट में कहा कि भारतीय मीडिया ने "यूनुस की शारीरिक बीमारी" या "ट्रंप की जीत के बाद यूनुस के फ्रांस भाग जाने" की खबर दी. रिपोर्ट में कहा गया, "इसके अलावा, सोशल मीडिया पर एक झूठा दावा पेश किया गया, जिसमें अब्दुल्ला अल महफूज नाम के एक व्यक्ति को चटगांव में हिज्बुत तहरीर नेता के रूप में गिरफ्तार किया गया था." रूमर स्कैनर ने पुष्टि की कि दोनों शख्स अलग-अलग हैं."


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