Punjab Assembly Election 2022: पंजाब के एक बैंक ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दलील दी है कि किसान उसका ऋण नहीं चुका रहे हैं. बैंक का कहना था कि इसकी वजह राज्य विधानसभा चुनाव (Assembly Election) है. किसानों को लगता है कि राज्य में जो भी सरकार आएगी, वह उनका सारा कर्ज़ माफ कर देगी. मामला बैंक पर एक कर्मचारी की दोबारा बहाली से पड़ रहे आर्थिक बोझ से जुड़ा था. कोर्ट ने बैंक की दलील को स्वीकार करते हुए कर्मचारी को दिए जाने वाले मुआवजे की रकम कम कर दी.
पटियाला सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक (Patiala Central Cooperative Bank) ने 2020 में आए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab-Haryana High Court) के एक आदेश को चुनौती दी थी. इस आदेश में 2005 में नौकरी से हटाए गए एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी को फिर से बहाल करने के लिए कहा गया था. हाई कोर्ट ने बैंक को कर्मचारी को 6 प्रतिशत ब्याज के साथ 20,000 रुपए सालाना मुआवजा देने के लिए कहा था.
सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की बेंच ने माना कि हाई कोर्ट का आदेश इंडस्ट्रीयल डिस्प्यूट एक्ट के प्रावधानों के अनुसार है. इसमें कोई त्रुटि नहीं है. इस पर बैंक की तरफ से दलील दी गई कि ब्याज के साथ यह रकम काफी ज्यादा हो जा रही है. हाई कोर्ट में 12 और कर्मचारियों के इसी तरह के मामले लंबित हैं. सबको इस तरह का भुगतान करने से उस पर काफी आर्थिक बोझ पड़ेगा.
जज दलील से सहमत नज़र आए
कोऑपरेटिव बैंक के लिए पेश वकील सुधीर वालिया ने कहा कि पंजाब में किसानों ने बैंक के कर्ज़ का भुगतान बंद कर दिया है. उन्हें भरोसा है कि नई सरकार उनके सभी कर्ज़ माफ कर देगी. बैंक के पास इस वजह से संसाधन की कमी है. जब कर्ज़ माफी होगी तो इसका भी असर बैंक पर पड़ेगा. जज इस दलील से सहमत नज़र आए. उन्होंने दैनिक कर्मचारी के वकील से कहा, "अगर बैंक ही नहीं बचेगा तो आपकी बहाली कहा होगी. अगर बैंक दिवालिया हो जाता है तो आप जैसे तमाम लोगों का नुकसान है."
कर्मचारी के लिए पेश वकील दुर्गा दत्त ने मुआवजे की रकम कम करने की मांग का विरोध किया. उनका कहना था कि कर्मचारी ने 17 साल तक तकलीफ उठाई है. हालांकि, कोर्ट ने एकमुश्त भुगतान की रकम 1 लाख रुपए तय करते हुए मामले का निपटारा कर दिया.
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