पांच साल में फ्रॉड से बैंकों को हुआ 70,000 करोड़ का नुकसान, हर महीने 382 फ्रॉड होते हैं
पिछले पांच सालों में बैंक फ्रॉड की वजह से बैंकों को लगभग 70,000 करो़ड़ रूपये का घाटा हुआ है. ये आंकड़ा देश भर के 78 कॉमर्शियल बैंकों का है.
नई दिल्ली: देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक(पीएनबी) में 11 हजार 500 करोड़ रूपये के घोटाले ने पूरे देश को हिला के रख दिया है. आम जनता इस डर में है कि उनकी मेहनत की कमाई बैंकों में कितनी सुरक्षित हैं? आपको ये जानकर बेहद हैरानी होगी कि पिछले पांच सालों में बैंक फ्रॉड की वजह से बैंकों को लगभग 70,000 करो़ड़ रूपये का घाटा हुआ है. ये आंकड़ा देश भर के 78 कॉमर्शियल बैंकों का है.
25 जुलाई 2017 को तत्कालीन वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने राज्यसभा में लिखित बयान दिया कि पिछले पांच सालों में बैंकों को फ्रॉड की वजह से 69,769 करोड़ रूपये का घाटा हुआ. ये आंकड़े साल 2012-13 से लेकर साल 2016-17 तक के हैं. ये सारे फ्रॉड एक लाख या उससे अधिक रुपये के हैं. संतोष कुमार गंगवार ने सदन में जो आंकड़े दिए थे, उसमें एक लाख से नीचे के एक भी फ्रॉड शामिल नहीं हैं.
इन आंकड़ों का सीधा मतलब ये हुआ कि हर महीने बैंकों में 382 फ्रॉड होते हैं और इस तरह हर महीने 1166 करोड़ का घाटा बैंकों को होता है.
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार बैंक फ्रॉड में साल दर साल लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. पिछले पांच सालों में बैंक फ्रॉड 20 प्रतिशत बढ़ गए हैं. जहां एक ओर साल 2012-13 में 4,235 बैंक फ्रॉड दर्ज किए गए थे तो वहीं 2016-17 में फ्रॉड की संख्या बढ़कर 5,076 हो गई. इस तरह पांच सालों में 841 बैंक फ्रॉड और ज्यादा बढ़ गएं. वहीं फ्रॉड की वजह से बैंको का घाटा पांच साल में 70 फीसदी बढ़ गया. साल 2012-13 में देश के 78 कॉमर्शियल बैंकों को 9,869 करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ था तो वहीं साल 2017-18 में बैंको को फ्रॉड की वजह से 16,788 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा का घाटा हुआ. इस तरह देखें तो केवल पांच साल में ही बैंको को लगभग 6,920 करोड़ का अधिक घाटा हुआ. आरबीआई के इन आंकड़ों से पता चलता है कि बैंक फ्रॉड साल दर साल लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन इन पर किसी भी प्रकार का लगाम नहीं लग रहा है.
आरबीआई ने बताया है कि फ्रॉड की कई सारी वजहें हैं. पैसे के लेने-देन की सही निगरानी नहीं रखने की वजह से फ्रॉड होता है. आमतौर पर बैंक फ्रॉड के मामले में बैंक का ही कोई न कोई कर्मचारी शामिल होता है.
2 फरवरी 2018 को वित्तमंत्री राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने बताया कि साल 2014-15 से 2016-17 तक में बैंक फ्रॉड के 12,778 मामले सामने आए हैं जिनमें से 1,714 मामलों में बैंक का कोई न कोई कर्मचारी शामिल था.
पीएनबी में हुए 11,500 करोड़ के घोटाले में गोकुलनाथ शेट्टी समेत कई बैंक अधिकारी शामिल हैं जिन्होंने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को एलओयू (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) जारी करने में मदद किया था. हालांकि सीबीआई इस समय मामले की जांच कर रही है.
देश की सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को पांच साल में 2,786 बैंक फ्रॉड की वजह से 6,228 करोड़ का घाटा हुआ. इसी तरह देश की दूसरी सबसे बड़े बैंक पीएनबी को 942 बैंक फ्रॉड से 8,999 करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार पांच सालों में सबसे ज्यादा घाटा पंजाब नेशनल बैंक को हुआ है वहीं सबसे ज्यादी फ्रॉड के मामले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में हुए. बैंक ऑफ बड़ौदा को 1,100 बैंक फ्रॉड से 4,411 करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ है.
ये आंकड़े बताते हैं कि देश की सभी बड़े बैंक बदहाली की स्थिती से गुजर रहे हैं. बैकों का लगभग छह लाख करोड़ रूपया एनपीए हो गया है. सवाल उठता है कि अगर बैंक कर्ज न चुकाने पर एक किसान के ट्रैक्टर को या उसके खेत को नीलाम कर लेती है तो नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे लोग कैसे इतने पैसों को गबन कर देश छोड़ के भाग गए. क्यों बैंकों ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की?