बीते पांच साल में बैंक फ्रॉड के केस में कितने आरोपी देश छोड़कर भागे? जानें- संसद में दी गई सरकार की जानकारी
सरकार की तरफ से वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बात की जानतकारी दी कि देश से बैंक फ्रॉड के 38 आरोपी साल 2015 से देश छोड़कर जा चुके हैं.
नई दिल्लीः देश में बैंक फ्रॉड की समस्या को लेकर कई बार बात की जा चुकी हैं और विपक्ष अक्सर इस मुद्दे पर सरकार को घेरता रहता है. ऐसे में सरकार ने कल मानसून सत्र के पहले दिन संसद में जानकारी दी है कि देश में साल 2015 से बैंक फ्रॉड के कितने आरोपी देश छोड़कर भाग चुके हैं. इस जानकारी को लेकर अब विपक्ष फिर सरकार को घेरने की तैयारी में है.
वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी जानकारी वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कल सदन को जानकारी दी कि सेंटल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन की ओर से बैंक फ्रॉड के जितने मामलों की जांच की जा रही है उसमें से 38 आरोपी अबतक देश छोड़कर भाग चुके हैं. ये आंकड़ा साल 2015 के बाद से है और 1 जनवरी 2015 से लेकर 31 दिसंबर 2019 के बीच फाइनेंशियल गड़बड़ियों से जुड़े मामलों में संलिप्त 38 लोग देश छोड़कर चले गए हैं. खास बात ये है कि ये वो मामले हैं जिनकी जांच सीबीआई के माध्यम से हो रही है.
विजय माल्या, नीरव मोदी के नाम शामिल कल दी गई जानकारी में बताया गया है कि बैंकों के साथ 9000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोपी विजय माल्या, पंजाब नेशनल बैंक के साथ 12,000 करोड़ के फ्रॉड का आरोपी मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और उसके परिवार के नाम मुख्य रूप से शामिल हैं. इसके अलावा 15,000 करोड़ रुपये के फ्रॉड के आरोपी संदेसारा समूह के ओनर और उसके करीबियों के नाम भी इस सूची में हैं.
डेढ़ साल में 27 से बढ़कर 38 हुई संख्या बता दें कि डेढ़ साल में बैंक फ्रॉड के मामलों के देश छोड़कर भाग चुके आरोपियों की संख्या 27 से बढ़कर 38 हो चुकी है यानी सरकार देश के पैसे को हड़पकर जाने वाले लोगों को विदेश जाने से रोकने में असफल साबित हो रही है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि पिछले साल 4 जनवरी 2019 को सरकार ने 27 आरोपियों के देश छोड़कर जाने की जानकारी दी थी और ये सूचना ईडी के हवाले से आई थी.
सरकार कर रही है बड़ी कार्रवाई अनुराग ठाकुर ने सदन में ये भी जानकारी मुहैया कराई कि ईडी ने इन विदेश भाग चुके 20 आरोपियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए कार्रवाई की है और अंतर्राष्ट्रीय संस्था इंटरपोल के पास जा चुका है. जिन देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि के तहत लोगों को वापस लाया जा सकता है, उनके अलावा भी कई देशों को ऐसे लोगों को भारत को वापस सौंपने के लिए प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है.
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