देश में नेताओं की जवाबदेही है, नियामकों की नहीं- जेटली
लगातार सामने आ रहे बैंकिंग घोटालों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत की है. इस बातचीत के दौरान वो काफी परेशान दिखे.
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नई दिल्ली: लगातार सामने आ रहे बैंकिंग घोटालों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत की है. इस बातचीत के दौरान वो काफी परेशान दिखे. उन्होंने कहा, "रेग्युलेटरों (नियामकों) के हिस्से एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है. वही ये तय करते हैं कि व्यापार का ये खेल कैसे चलेगा. उन्हें अपनी तीसरी आंख हमेशा खोलकर रखनी चाहिए. ये दुर्भाग्य की बात है कि भारतीय सिस्टम में नेताओं की जवाबदेही है लेकिन नियामकों की नहीं."
लगातार असहाय नज़र आए वित्त मंत्री पीएनबी घोटाला: प्रधानमंत्री मोदी ने तोड़ी चुप्पीवित्त मंत्री ने कहा, "अगर किसी बैंक की कई ब्रांचों में कोई गड़बड़ घोटाला हो रहा हो और इसकी जानकारी देने में हर कोई असफल रह जाता है, तो क्या ये एक देश के लिए चिंता की बात नहीं है. मामले में आला अधिकारी से लेकर, ऑडिटिंग सिस्टम के कई स्तर पर मामले की अनदेखी की गई. ये बेहद चिंतित करने वाला है."
If a fraud is takng place in multiple branches of banking system&no one raised the red flag, doesn't that become worrisome for a country.Similarly,top mgmnt who were indifferent,multiple layers of auditing system which chose to look other way,it creates a worrisome situation:FM pic.twitter.com/cpMHdjWuBg
— ANI (@ANI) February 24, 2018
उन्होंने कहा, "जान-बूझकर कर्ज़ नहीं लौटाने के मामले, बिजनेस में फेल होने और बैंक घोटालों के मामलों से कहीं अधिक हैं. अगर लगातार ऐसी घटनाएं होती हैं तो इज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस (व्यापार करने में आसानी) का पूरा प्रयास बेकार हो जाता है और अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है."
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मोदी सरकार के राज्य-केंद्र के चुनाव एक साथ कराए जाने के स्टैंड की ओर इशारा करते हुए जेटली ने कहा, "सरकार चलाने से लेकर व्यय तक, हर साल 2-3 चुनाव कराना एक बहुत बड़ा चैलेंज है. अगर हर पांच सालों में एक बार चुनाव हों तो देश को केंद्र और राज्य में स्थिर सरकारें मिलेंगी और कम व्यय पर में नीतियां बनाई जा सकेंगी."
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