नई दिल्ली: ग्राहकों को नुकसान से बचने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक महत्वपूर्ण नोटिफिकेशन जारी किया है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि अगर अनाधिकृत इलेक्ट्रानिक बैंक लेन-देन के बारे में तीन दिन के भीतर जानकारी दी जाती है तो ग्राहकों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा और पैसे 10 दिन के अंदर उनके खाते में आ जाएंगे.
आरबीआई ने क्या-क्या कहा?
- तीसरे पक्ष की तरफ से की गई धोखाधड़ी के मामले में अगर रिपोर्ट चार से सात दिन की देरी से की जाती है तो ग्राहकों को 25,000 रुपए तक की देनदारी का सामना करना पड़ेगा.
- अगर नुकसान खाताधारक की लापरवाही से हुआ है (भुगतान से संबद्ध गोपनीय जानकारी साझा करने- जैसे पासवर्ड या ओटीपी) तो बैंको को जबतक अनाधिकृत लेन-देन के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है, तबतक ग्राहक को पूरा नुकसान उठाना पड़ेगा.
आरबीआई ने बैंकों को दिशानिर्देश जारी किए
केंद्रीय बैंक ग्राहक सुरक्षा, अनाधिकृत इलेक्ट्रानिक बैंक लेन-देन में ग्राहकों की सीमित देनदारी (कस्टमर प्रोटेक्शन लिमिटिंग लाइबिलिटी ऑफ कस्टमर्स इन अनाथोराइज्ड इलेक्ट्रानिक बैंकिंग ट्रांजेक्शन) पर संशोधित दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि अनाधिकृत लेन-देन के बारे में रिपोर्ट करने के बाद अगर कोई नुकसान होता है, उसकी भरपाई बैंक करेंगे.
कार्ड से लेन-देन की शिकायतों में बढ़ोतरी
आरबीआई ने कहा कि कार्ड से लेन-देन के बारे में ग्राहकों की शिकायतों में बढ़ोतरी के बीच संशोधित दिशानिर्देश जारी किया गया है. तीसरे पक्ष से धोखाधड़ी में जहां कमी न तो बैंक में और न ही ग्राहकों की तरफ से है बल्कि व्यवस्था में कहीं और गड़बड़ी है तो ऐसे मामलों में ग्राहकों की देनदारी शुन्य होगी.
हालांकि ग्राहक को अनाधिकृत लेन-देन के बारे में सूचना मिलने के बाद तीन कार्यकारी दिनों में बैंकों को जानकारी देनी होगी. उस स्थिति में भी ग्राहक की देनदारी शून्य होगी जब अनाधकृत लेन-देन बैंक की तरफ से चूक के कारण हुई हो.
बचत बैंक खाता धारक की अधिकतम देनदारी 10,000 रुपए
अगर धोखाधड़ी के बारे में रिपोर्ट सात दिन बाद की जाती है, ग्राहक की देनदारी बैंक के निदेशक मंडल की तरफ से मंजूरी नीति के तहत की जाएगी. ऐसे मामलों में बचत बैंक खाता धारक की अधिकतम देनदारी 10,000 रुपए होगी.