Owaisi On Obama Row: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल ही में भारत में मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर बयान दिया था, जिस पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ओबामा पर निशाना साधा था. अब इसे लेकर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार और बीजेपी को घेरने की कोशिश की है.


ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा, क्या किसी को आश्चर्य है कि चीन हमारे सैनिकों को लद्दाख में 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट पर गश्त करने से रोकता है, लेकिन मोदी सरकार के जितने मंत्री चीन का नाम लेते हैं, उससे कहीं ज्यादा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति पर हमला करने को तैयार हैं.


8 सप्ताह से जल रहा मणिपुर- ओवैसी


एआईएमआईएम नेता ने आगे कहा, उम्मीद करें कि मोदीजी की विदेश यात्रा उन्हें चीन की दादागिरी के आगे झुकने के बजाय उसका नाम लेकर उल्लेख करने की हिम्मत देगी और मणिपुर पर भी अपनी चुप्पी तोड़ेंगे जो  लगभग आठ सप्ताह से जल रहा है.


उन्होंने कहा, "मणिपुर में राज्य के शस्त्रागारों से 4000 से अधिक हथियार छीन लिए गए हैं और एक भी सिर नहीं गिरा है. कश्मीर की तो बात ही छोड़िए, किसी भी विपक्षी शासित राज्य में होने वाले इसका एक भी अंश होता तो हमारी मीडिया के सुनियोजित गुस्से की कल्पना कीजिए. आखिर नया भारत जो है."


भारत के मुसलमानों का सउदी और मिस्र से रिश्ता नहीं- ओवैसी


बराक ओबामा के बयान पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा था कि पीएम मोदी को 13 देशों ने शीर्ष राजकीय सम्मान से नवाजा है, जिनमें सऊदी अरब, यूएई, मिस्र समेत 6 मुस्लिम देश शामिल हैं. इस पर पलटवार करते हुए ओवैसी ने कहा, मैं अपनी वित्त मंत्री साहिबा को बताना चाहती हूं कि मैडम अमरावती और भारत के मुसलमानों का सऊदी अरब के पीएम-राष्ट्रपति से कोई कनेक्शन नहीं है. अमरावती के मुसलमान का यूएई के राष्ट्रपति से कोई रिश्ता नहीं है. मिस्र के सीसी से हमें कोई मतलब नहीं है. अब आप एंटी नेशनल बात कर रही हो. भारत के 20 करोड़ मुसलमानों को इरान, यूएई, मिस्र, इरान के नेताओं और मुसलमानों से क्या करना."


ओवैसी ने आगे कहा, "हम भारतीय मुस्लिम हैं. वहां पर बादशाहत है मैडम लेकिन यहां पर अंबेडकर का बनाया हुआ संविधान है. आप भारत के मुसलमानों को इन देशों से जोड़ रही हो. अब आरएसएस वाले कहते हैं कि ओवैसी तुम उस मुल्क में चले जाओ. अब इनको कौन बताए कि हमने 1947 में फैसला ले लिया था कि हम भारत में रहेंगे. ये हमारी सरजमीं है. जहां पर हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, फांसी पर चढ़ गई. काला पानी की सजा भुगती. हमने भारत को पसंद को किया. हमारी वफादारी की निशानियां भारत के कब्रिस्तान में नजर आएंगी."


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