बार्ज P305 हादसाः 40 दिन बीत गए लेकिन अभी भी शव के लिए भटक रहे हैं परिजन
बार्ज P305 हादसा के 40 दिन बीत गए लेकिन अभी भी शव के लिए परिजनों को भटकना पड़ रहा है. वहीं कंपनी की ओऱ से भी इसके लिए सहयोग नहीं मिल पा रहा है.
मुंबईः 17 मई 2021 को चक्रवाती तूफान ताऊते के चपेट में आए बार्ज P305 हादसे को 40 दिन बीत गए हैं. बार्ज और टग बोट हादसे में 86 लोगो की मौत हुई है. आज भी कई पीड़ित परिवार ऐसे है जो अपने परिजनों के शव के लिए भटक रहे हैं. DNA जांच के बावजूद शव अब तक नहीं सौंपा गया है.
केस स्टडी 1
बार्ज जहाज पर शिवकुमार मिश्रा सुपरवाइजर के तौर पर काम करते थे. शिवकुमार बार्ज P305 पर मैथ्यू कंपनी की ओर से ONGC के लिए कार्यरत थे. मूलरूप से उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के रहने वाले शिवकुमार के 2 बच्चे और पत्नी है. परिवार के 8 लोगों में अकेले कमाने वाले थे. वह 30 साल से शिपिंग लाइन में काम करते थे.
केस स्टडी 2
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के रहने वाले पंकज कुमार दास बार्ज जहाज पर कुक का काम करते थे. वह सिनाई कंपनी की ओर से बार्ज पर काम कर रहे थे. 9 साल से शिपिंग लाइन में काम करते थे. पंकज की 3 साल की बेटी है. पंकज भी घर मे अकेले कमाने वाले थे.
केस स्टडी 3
बिहार के मधेपुरा जिले से पहली बार मुंबई आए खतर शाह अपने बेटे प्रमोद कुमार के लिए भटक रहे है. खतर शाह उम्र की वजह से ज्यादा समय खड़े रह नही पाते. प्रमोद कुमार सिनाई कंपनी की ओर से कैटरिंग विभाग में थे. 8 लोगो के परिवार में प्रमोद इकलौते कमाने वाले थे. पिता के पास अब पैसे नहीं बचे की वो मुंबई में टैक्सी रिक्सा का किराया दे सकें. कंपनी कहती है अपने पैसे लगाओ और थाने के चक्कर लगाओ. प्रमोद की 2 बेटियां और 1 बेटा है.
केस स्टडी 4
अपने 27 साल के बेटे श्रीबास घोष की तलाश में मां और पिता मुंबई आए हैं. डेढ़ महीने का संघर्ष खत्म नही हो रहा है. श्रीबास घोष सिनाई कंपनी की ओर से कैटरिंग विभाग में काम करता था. पश्चिम बंगाल के नदिया जिला से पिता तुलसीदास घोष और मां पहली बार मुंबई आए हैं. 5 सदस्यों में इकलौता कमाने वाला श्रीबास घोष था जिसकी शादी होने वाली थी. मां अपने बेटे को दूल्हा बनते देखना चाहती थी पर अब बेटे की तस्वीर लेकर भटक रहे हैं.
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