बटला हाउस केस में आरिज खान को मिली फांसी की सजा, जानें- इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की पत्नी ने क्या कहा
बटला हाउस मामले में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत के मामले में इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान को फांसी की सजा सुनाई है. मोहन चंद शर्मा की पत्नी का कहना है कि 13 साल के लंबे इंतजार के बाद उन्हें इंसाफ मिल गया है.
नई दिल्लीः बटला हाउस मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत के मामले में फैसला सुना दिया गया है. राजधानी दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सोमवार को इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान को इस मामले में फांसी की सजा सुनाई है. वहीं 13 साल के लंबे इंतजार के बाद शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की पत्नी माया शर्मा को इंसाफ मिल गया है.
बटला हाउस मुठभेड़ के दौरान अपने पति और दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को गंवा चुकीं माया शर्मा ने 13 साल के लंबे इंतजार के बाद सोमवार को तब राहत की सांस ली, जब दिल्ली की साकेत कोर्ट ने दोषी इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान को मृत्युदंड सुनाया.
‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ की श्रेणी का अपराध दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 2008 के बटला हाउस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या के जुर्म में आरिज खान को मृत्युदंड सुनाया और कहा कि यह अपराध ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ की श्रेणी में आता है और इसके लिए अधिकतम सजा उपयुक्त है.
इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा की पत्नी माया ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैं न्यायपालिका को धन्यवाद देना चाहती हूं. तेरह साल के संघर्ष के बाद हमें बड़ी राहत मिली है. अंतत: 13 साल के संघर्ष के बाद इंसाफ मिला है. अदालत ने हमारे साथ इंसाफ किया है. अबतक हम बस देखो और इंतजार करो की स्थिति में थे.’’
मुठभेड़ में मारे गये थे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा विशेष शाखा के अधिकारी मोहन चंद शर्मा दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर के बटला हाउस में पुलिस और कथित आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में मारे गये थे. उससे पहले यहां सिलसिलेवार बम धमाकों में 39 लोगों की जान गयी थी और 159 लेाग घायल हुए थे.
शर्मा को इन बम धमाकों में शामिल रहे संदिग्ध आतंकवादियों के बटला हाउस में मौजूद होने की खबर मिली थी, जिसके बाद वह अपने नेतृत्व में सात सदस्यीय दल के साथ 19 सितंबर, 2008 को वहां पहुंचे थे. मुठभेड़ में उन्हें गोली लगी थी और उनकी मौत हो गयी थी. उन्हें मरणोपरांत शांति काल का सर्वोच्च वीरता पुस्कार अशोक चक्र प्रदान किया था.
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