बटला हाउस एनकाउंटर: आरिज खान की सजा पर सुनवाई आज, देश में कई जगहों पर बम धमाकों का है दोषी
जामिया नगर इलाके में 2008 में बटला हाउस मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के निरीक्षक मोहन चंद्र शर्मा की हत्या कर दी गई थी.बीजेपी ने बटला हाउस में हुई मुठभेड़ पर संदेह व्यक्त करने को ले कर कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों पर निशाना साधा.बीजेपी ने कहा कि अब जब इस मामले में एक आरोपी को अदालत ने दोषी ठहराया है, उन्हें देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए.
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नई दिल्ली: दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर में करीब तेरह साल बाद आज दोषी आरिज खान की सजा पर साकेत कोर्ट में बहस होने वाली है. पुलिस की तरफ से पेश किए गए सबूतों के आधार पर कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि आरिज खान ने सहयोगियों के साथ मिलकर पुलिस को बड़ा नुकसान पहुंचाया था. कोर्ट ने आरोपी आरिज खान को आईपीसी 186, 333, 353, 302, 307, 174a के तहत दोषी करार दिया था.
आरिज खान पर देश में कई जगहों पर बम धमाके के आरोप है जिसमें एक सौ पैंसठ लोगों की जान चली गई थी. धमाकों के बाद आरिज नेपाल भाग गया था और वहां सलीम नाम से छिपा हुआ था. 2008 में दिल्ली के करोल बाग, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट जैसी जगहों पर सीरियल धमाके के बाद जांच आगे बढ़ी और इसी दौरान खुफिया जानकारी के आधार पर पुलिस ने बटला हाउस में छापा मारा.
जहां पुलिस और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई करीब दस साल बाद 2018 में आरिज खान की नेपाल से गिरफ्तारी हुई और इसे पिछले हफ्ते ही दोषी करार दिया गया. अब आज मासूम लोगों के गुनहगार बम एक्सपर्ट आरिज की सजा पर बहस होने वाली है. आरिज खान को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूतों से साबित होता है कि अभियुक्त अरिज खान और उसके सहयोगी ने स्वेच्छा से सरकारी कर्मचारियों को बड़ा नुकसान पहुंचाया था. करार देते हुए कहा कि इसकी सजा पर 15 मार्च को बहस होगी.
क्या था बटला हाउस एनकाउंटर? 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके के बटला हाउस में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकियों से दिल्ली पुलिस की मुठभेड़ हुई थी जिसमें दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद पुलिस के हाथों मारे गए थे. इस मुठभेड़ में दो अन्य संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए, जबकि एक और आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया था.
बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद देशभर में हुआ हंगामा इस पूरे अभियान को दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मोहनचंद्र शर्मा लीड कर रहे थे. मुठभेड़ के दौरान सिर के पीछे तरफ गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी. हालांकि शर्मा की मौत काफी विवादों में रही थी और इस पर कई तरह की बातें की जाती रही थी. शर्मा दिल्ली पुलिस में 26 जून 1989 को सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती हुए थे.
अपने कार्यकाल दौरान मोहनचंद्र शर्मा ने 35 से ज्यादा आतंकियों को मारा था और 80 से अधिक आतंकियों को गिरफ्तार करवाया था. हालांकि इस इनकाउंटर के बाद दिल्ली समेत देश भर में कई जगहों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे. राजनीतिक पार्टियां और मानवाधिकार संगठनों ने इसकी न्यायिक जांच कराने की मांग की थी.
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