BBC Documentary Row: बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर बवाल जारी है. दिल्ली और कोलकाता में स्क्रीनिंग की जिद को लेकर हंगामे के बाद आज यानी शनिवार को मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) में स्क्रीनिंग का एलान किया गया है. हालांकि, संस्थान की तरफ से इसकी इजाजत नहीं दी गई है.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में पढ़ने वाले छात्रों के एक ग्रुप प्रोग्रेसिव स्टूडेंट फोरम (PSF) ने प्रबधन से कैंपस में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की इजाजत मांगी थी. TISS ने स्क्रीनिंग की इजाजत देने से साफ इनकार कर दिया था. इजाजत न मिलने के बावजूद फोरम ने शनिवार (28 जनवरी) को शाम 7 बजे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने का घोषणा की है. पीएसएफ ने कहा है कि प्रबंधन के मना करने के बावजूद हम कैंपस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करेंगे.
TISS ने जारी की एडवाइजरी
टाटा इंस्टीट्यूट ऑप सोशल साइंसेज (TISS) ने डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के खिलाफ कड़ा रुख दिखाया है. TISS ने संस्थान के अंदर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग न किए जाने को लेकर एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में कहा गया है कि संस्थान में ऐसी किसी भी स्क्रीनिग और सभा की अनुमति नहीं है जो शैक्षणिक माहौल को बिगाड़े और उसकी शांति और सद्भाव को खतरे में डाले.
एडवाइजरी में आगे कहा गया है कि ऐसा संज्ञान में आया है कि छात्रों के कुछ समूह देश के कुछ हिस्सों में अशांति पैदा करने वाली बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री की परिसर में स्क्रीनिंग करने की योजना बना रहे हैं. वहीं कुछ छात्र इस डॉक्यूमेंट्री के विरोध में कुछ विश्वविद्यालयों में सभा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. इस एडवाइजरी में छात्रों को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से बचने की सलाह दी गई है. कहा गया है कि यदि कोई भी छात्र इस प्रकार की गतिविधि में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
छात्र संगठन ने किया इनकार
वहीं, TISS के छात्र संगठन अध्यक्ष प्रतीक पर्मे ने किसी भी तरह की स्क्रीनिंग की योजना से इनकार किया है. पर्मे ने कहा कि संस्थान की तरफ से उन्हें एडवाइजरी मिली है, लेकिन उनकी ऐसी किसी भी स्क्रीनिंग की योजना नहीं है. उन्होंने बताया कि पीएसएफ नाम के संगठन ने इस तरह की स्क्रीनिंग की घोषणा किया है, लेकिन वह किसी भी तरह से इसका हिस्सा नहीं हैं.
क्या है डॉक्यूमेंट्री विवाद?
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को लेकर देश भर में विवाद शुरू हो गया है. यह सीरीज गुजरात में 2002 के दौरान हुए दंगों को लेकर बनाई गई है. उस समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. केंद्र सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. बावजूद इसके कई राजनीतिक पार्टियों और संगठनों ने इसकी स्पेशल स्क्रीनिंग कराई है. अब इस डॉक्यूमेंट्री को देश की यूनिवर्सिटीज में भी प्रसारित करने की कोशिश की जा रही है. इसे लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी, जामिया और जेएनयू के साथ ही कोलकाता के एक विश्वविद्यालय में बवाल हो चुका है.
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