BBC Documentary Row: पीएम नरेंद्र मोदी और गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' पर बढ़ते विवाद के बीच केरल (Kerala) में कांग्रेस ने इसकी स्क्रीनिंग की. केरल कांग्रेस की ओर से यह डॉक्यूमेंट्री राजधानी तिरुवनंतपुरम के शांघुमुघम बीच (Shanghumugham Beach) पर दिखाई गई.
पीएम मोदी की विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाने के बाद केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) महासचिव जीएस बाबू ने कहा कि हमने इस बारे में पहले ही फैसला कर लिया था. डॉक्यूमेंट्री को पहली बार KPCC मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए दिखाया गया. उसके बाद गुरुवार को एक बीच पर आम जनता के लिए उसकी स्क्रीनिंग की गई.
केरल कांग्रेस ने दिखाई विवादित डॉक्यूमेंट्री
कांग्रेस नेता जीएस बाबू ने आगे कहा, ''इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' की स्क्रीनिंग के लिए हमें आम जनता से पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला. इसे बहुत सारे लोग देखने आए. अब हम इसे पूरे राज्य में विभिन्न स्थानों पर दिखाएंगे." उन्होंने यह भी कहा कि बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि डॉक्यूमेंट्री में क्या है और यह किस बारे में है.
बता दें कि केरल कांग्रेस ने दो पार्ट में बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' दिखाने का फैसला ऐसे समय पर लिया है, जब पूर्व मुख्यमंत्री ए.के. एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ अपने ट्वीट को लेकर हुई आलोचनाओं के बाद पार्टी में अपने सभी पदों से बुधवार (25 जनवरी) को इस्तीफा दे दिया था. इसको लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना भी साधा था.
बीजेपी ने जताया ऐतराज
हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी में आए जयवीर शेरगिल ने अनिल एंटनी के इस्तीफे पर ट्वीट कर कहा, ‘‘राष्ट्र के लिए, राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता के लिए सोचने वाले स्वाभिमानी व्यक्ति अब कांग्रेस में नहीं रह सकते हैं. यह 'मोहब्बत की दुकान' नहीं बल्कि 'चम** का दरबार' है जो कांग्रेस पर हावी है.’’
अनिल एंटनी ने क्या कहा था?
अनिल एंटनी ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर मंगलवार(24 जनवरी) को ट्वीट किया था कि बीजेपी के साथ तमाम मतभेदों के बावजूद उनका मानना है कि बीबीसी, ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री और ‘‘इराक युद्ध के पीछे के दिमाग’’ जैक स्ट्रॉ के विचारों को भारतीय संस्थानों के विचारों से अधिक महत्व देना खतरनाक चलन है और इससे देश की संप्रभुता प्रभावित होगी.
इसके बाद एंटनी को कांग्रेस के भीतर ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था. इस कारण उन्होंने बुधवार (25 जनवरी) को पार्टी में अपने सभी पदों से इस्तीफा देते हुए कहा था, ''अब मुझे अच्छी तरह से पता चल गया है कि आप, आपके सहयोगी और आपके नजदीकी लोग केवल चापलूसों और चम** के उस झुंड के साथ काम करने के इच्छुक हैं, जो बिना कोई सवाल किए आपके इशारे पर काम करें.''
मामला क्या है?
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि यह 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की पड़ताल पर आधारित है. साल 2002 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
सरकार ने ट्विटर और यूट्यूब डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था. विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को ‘‘दुष्प्रचार का हिस्सा’’ बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है.