BBC Documentary Row: बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बैन के खिलाफ याचिका, सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई
BBC Documentary Row: भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगेंडा पीस बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. केंद्र के फैसले को याचिकाओं में चुनौती दी गई है जिस पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा.
BBC Documentary Ban: बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (3 फरवरी) को सुनवाई होगी. गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था.
केंद्र के फैसले के खिलाफ एन राम, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और एडवोकेट एमएल शर्मा ने फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की है. जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की दो जजों वाली पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी.
केंद्र के फैसले को बताया मनमाना
एडवोकेट एमएल शर्मा ने अपनी याचिका में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' पर प्रतिबंध के फैसले को "दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक" बताया था. केंद्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर बैन के साथ ही इसके लिंक शेयर करने वाले ट्वीट पर हटवा दिए थे. इन ट्वीट्स को हटाने के फैसले को वरिष्ठ पत्रकार एनराम और वकील प्रशांत भूषण ने एक अन्य याचिका दायर की है.
इससे पहले एन राम और प्रशांत भूषण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने बताया था कि कैसे कथित तौर पर आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करके उनके ट्वीट को हटा दिया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि अजमेर में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री स्ट्रीमिंग के लिए छात्रों को निष्कासित कर दिया गया था.
क्या है डॉक्यूमेंट्री पर विवाद
बीबीसी ने इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नाम से दो पार्ट की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है. इस डॉक्यूमेंट्री के पहले पार्ट के आते ही यह विवादों में घिर गई थी. इसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे. डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि यह गुजरात दंगों के दौरान की गई कुछ पहलुओं की जांच रिपोर्ट का हिस्सा है. वहीं केंद्र सरकार ने इसे प्रोपेगेंडा बताया है.
डॉक्यूमेंट्री की रिलीज के साथ ही केंद्र सरकार ने इसे शेयर करने वाले यूट्यूब वीडियो और ट्विटर लिंक को ब्लॉक करने का आदेश दिया था. यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को हटाने के सरकार के फैसले की विपक्षी पार्टी की तरफ से जमकर विरोध किया गया और इसे सेंसरशिप कहा गया.
प्रतिबंध के बावजूद स्क्रीनिंग
प्रतिबंध के बावजूद कई जगहों पर विरोध स्वरूप डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग भी की गई. कांग्रेस समेत कई दूसरे दलों और उससे जुड़े संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री को सार्वजनिक स्थान पर चलाकर दिखाया. जेएनयू, डीयू, ओस्मानिया यूनिवर्सिटी समेत कई संस्थानों में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर तनाव का माहौल बना जब बीजेपी समर्थित संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का विरोध किया.
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