BBC IT Survey: बीबीसी के दिल्ली और मुंबई के ऑफिस पर इनकम टैक्स के सर्वे को लेकर ब्रिटेन सरकार ने मंगलवार (22 फरवरी) को कहा कि वो बीबीसी के साथ खड़े. सरकार ने इसको संपादकीय स्वतंत्रता का बचाव बताया.
विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (FCDO) के उप मंत्री ने मंगलवार को ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में उठाए गए एक जरूरी सवाल का जवाब दिया, जिसमें कहा गया कि सरकार इनकम टैक्स की जांच’’ पर लगाए गए आरोपों पर टिप्पणी नहीं कर सकती, लेकिन जोर दिया कि मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ‘‘मजबूत लोकतंत्र’’ के आवश्यक तत्व हैं.
एफसीडीओ के संसदीय उप मंत्री डेविड रटले (David Rutley) ने भारत के साथ ‘‘व्यापक और गहरे संबंध’’ का जिक्र करते हुए कहा कि ब्रिटेन ‘‘रचनात्मक तरीके’’ से मुद्दों पर चर्चा करने में सक्षम है. उन्होंने कहा, ‘‘हम बीबीसी के लिए खड़े हैं. हम बीबीसी को कोष देते हैं, हमें लगता है कि बीबीसी वर्ल्ड सर्विस महत्वपूर्ण है. हम चाहते हैं कि बीबीसी को संपादकीय स्वतंत्रता मिले.''
'पूरी दुनिया में सुनी जाए'
इस मुद्दे पर ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ को मंत्री रटले ने बताया कि भारत के आईटी विभाग का नई दिल्ली और मुंबई में बीबीसी के कार्यालयों पर सर्वेक्षण अभियान 14 फरवरी से शुरू हुआ और तीन दिनों के बाद 16 फरवरी को समाप्त हुआ. रटले ने कहा, ‘‘यह ऐसा करना जारी रखेगा, क्योंकि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हमारी आवाज और बीबीसी के माध्यम से एक स्वतंत्र आवाज पूरी दुनिया में सुनी जाए. ’’
विपक्षी दलों के सांसदों के ‘छापों’ पर चिंता जताए जाने और भारत सरकार से चर्चा के लिए कहे जाने पर रटले ने कहा, ‘‘यह हिंदुस्तान के साथ हमारे व्यापक और गहरे संबंधों के कारण है कि हम वहां की सरकार के साथ रचनात्मक तरीके से व्यापक मुद्दों पर चर्चा करने में सक्षम हैं. बातचीत में इस मुद्दे को उठाया गया है और हम स्थिति की निगरानी करना जारी रखे हुए हैं. ’’
सरकार की क्यों हुई आलोचना?
उत्तरी आयरलैंड के सांसद जिम शैनन ने सवाल उठाते हुए कार्रवाई को ‘‘देश के नेता के बारे में डॉक्यूमेंट्री जारी होने के बाद डराने-धमकाने वाला कार्य’’ बताया और इस मुद्दे पर बयान देने में विफल रहने के लिए ब्रिटेन सरकार की तीखी आलोचना की.
डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी (DUP) के संसद सदस्य शैनन ने कहा, ‘‘सात दिन पहले छापे की कार्रवाई हुई. मैं सम्मानपूर्वक कहना चाहूंगा कि एफसीडीओ चुप्पी साधे हुए हैं. सरकार की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया. सवाल इसलिए पूछे जा रहे कि सरकार प्रेस की आजादी पर निर्मम प्रहार की निंदा करे.’’ लेबर पार्टी के सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा ‘‘हिंदुस्तान के साथ हमने लोकतंत्र और प्रेस स्वतंत्रता के मूल्यों को साझा किया है. प्रधानमंत्री के कार्यों के आलोचनात्मक डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण के बाद भारत ने बीबीसी ऑफिसों पर छापा मारने का फैसला किया.’’
भारत सरकार के समर्थक ने क्या कहा?
भारत सरकार के मुखर समर्थक, कंजरवेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने मंत्री रटले से यह पुष्टि करने के लिए कहा कि क्या हिंदुस्तान में आयकर अधिकारी सात साल से बीबीसी की जांच कर रहे हैं. हालांकि मंत्री ने जांच के संबंध में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. इनकम टैक्स ने सर्वे के बाद एक बयान में कहा कि बीबीसी की इकाइयों द्वारा घोषित आय और लाभ इंडिया में संचालन के पैमाने के अनुरूप नहीं थे.