Hindu Forum Of Britian On BBC: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री (BBC documentary) को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं अब हिंदू फोरम ऑफ ब्रिटेन (HFB) ने बीबीसी को चिट्ठी लिखी है. HFB ने कहा है कि वह बीबीसी के 'हिंदू-विरोधी पूर्वाग्रह' से निराश है.
बीबीसी न्यूज के सीईओ डेबोरा टर्नस को लिखे एक पत्र में एचएफबी ने कहा, "इंडिया: द मोदी क्वेश्चन के कंटेंट में निष्पक्ष रिपोर्टिंग का मूल गायब है. बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोगों ने हमसे संपर्क किया है और कहा है कि बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री को दिखाने में असंवेदनशीलता बरती है. इससे दो समुदायों के बीच विवाद बढ़ सकता है."
'हमें स्वतंत्र आवाज के रूप में महत्व दिया जाता है'
बता दें कि ब्रिटेन का हिंदू फोरम ब्रिटिश हिंदुओं का एक संगठन है, जिसके देश भर के 300 से अधिक सदस्य संगठन हैं. पत्र में बीबीसी की वार्षिक रिपोर्ट 2021/22 का भी उल्लेख किया गया है. पत्र में कहा गया है, "हम कौन हैं और हम क्या करते हैं, यह इसकी आधारशिला है और यही कारण है कि हमें दुनिया भर में एक स्वतंत्र आवाज के रूप में महत्व दिया जाता है. निष्पक्षता कभी भी आसान नहीं रही है, लेकिन हमारे दर्शक उच्चतम संभव मानकों की अपेक्षा करने के लिए सही हैं."
'क्या बीबीसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है?'
पत्र में आगे लिखा है, "हिंदू नफरत के टुकड़े का यह बेतुका व गलत उत्पादन और प्रसारण गोला बारूद साबित हो सकता है. इससे हिंदुओं को खतरा बढ़ सकता है. क्या बीबीसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है? कार्यक्रम अपने आप में असंतुलित और गलत था... 2002 में जब एक संगठित भीड़ ने हिंदू तीर्थयात्रियों से भरी एक ट्रेन के एस-6 कोच को जला दिया था, तब 59 हिंदुओं की दर्दनाक मौत हुई थी. बाद में गुजरात में अशांति के रूप में जो हुआ, उसके लिए लेकिन इस पर बहुत कम समय दिया गया."
पत्र में एचएफबी ने यह भी कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम हटा दिया था. फोरम उम्मीद करता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के निर्वाचित नेता को बदनाम नहीं किया जाएगा.
विदेश मंत्रालय ने भी जताई आपत्ति
इससे पहले गुरुवार को भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादास्पद बीबीसी सीरीज की निंदा की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, "हमें लगता है कि यह एक विशेष बदनाम कहानी को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रचार सामग्री है. पूर्वाग्रह और निष्पक्षता की कमी और स्पष्ट रूप से जारी औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है."
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