नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के खिलाफ कडा रूख अख्तियार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि अगली सुनवाई के दौरान अनुराग ठाकुर पर कार्रवाई हो सकती है.


आरोप है कि अनुराग ठाकुर ने आईसीसी को कहा था कि वो एक चिट्ठी जारी करें और लिखें की अगर बीसीसीआई ने सीएजी नियुक्त किया तो आईसीसी उसकी मान्यता रदद् कर सकता है. कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी माना है.


आज हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पड़ी करते हुए और नाराज़गी जताते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया आपने (अनुराग ठाकुर) कोर्ट की अवमानना की है.


अनुराग ठाकुर ने आईसीसी को चिट्ठी लिखी जिसमे उन्होंने आईसीसी से कहा कि वो एक चिट्ठी जारी करें जिसमे लिखें की अगर बीसीसीआई ने सीएजी नियुक्त किया तो आईसीसी उसकी मान्यता रदद् कर सकता है. इस हिसाब से ये कोर्ट के आदेश के साथ धोखाधाडी है और क्यों न अनुराग ठाकुर के खिलाफ 'झूठी गवाही' का मामला चलाया जाए!!


कोर्ट ने अनुराग ठाकुर से कहा कि आपको इस तरह का धोखा करने के लिए माफी मांगनी चाहिए. आप इस तरह की हरकत करके सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाना चाहते हैं?


नौबत तो यहाँ तक आ गयी की बीसीसीआई के वकील कपिल सिब्बल को कोर्ट से कहना पड़ा की आप अगर बीसीसीआई के सदस्यों को हटाते भी हैं उससे समस्या कहाँ कम हो पाएगी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए बीसीसीआई के नियम कानून में बदलाव होना ज़रूरी है ओर वो तब ही हो सकता है जब 2/3 सदस्य उसके लिए तैयार हों.


बीसीसीआई के वकील सिब्बल ने कहा कि हम आपके फैसले से असहमत हो सकते हैं पर उसमे रुकावट डालने का कोई इरादा नहीं है.


इन सबके बीच लोढा कमिटी के वकील ने बीसीसीआई और अनुराग ठाकुर पर आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2016 में आदेश जारी किया पर उस पर अभी तक अमल नहीं हुआ. अनुराग ठाकुर ने आईसीसी को चिट्ठी लिखकर कहा कि वो बोल दें कि अगर सीएजी की नियुक्ति होगी तो बीसीसीआई की मान्यता रदद् हो सकती है.


सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के वकील कपिल सिब्बल से कहा है कि वो अगली सुनवाई के दौरान अदालत को ऐसे नामों को लेकर सुझाव दें जो बीसीसीआई का ज़िम्मा अच्छे से उठा सकें.