पटना/नई दिल्ली: तेजस्वी यादव के भ्रष्टाचार के सवाल पर बड़े ही नाटकीय ढंग से नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया, लेकिन जिस तेज़ी के साथ नीतीश की घरवापसी हुई. उससे चौंकने वालों के लिए ये याद दिलाना जरूरी है कि बीते 20 महीनों में कई मौके आए जब नीतीश कुमार बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के बेदह करीब दिखे.


ये बात सच है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी के सवाल पर ही नीतीश कुमार ने बीजेपी से अपनी 17 साल पुरानी ‘रिश्तेदारी’ तोड़ ली थी, लेकिन बीते 20 महीनों में पुरानी रिश्तेदारी से उनका नाता चलता रहा है और बीच-बीच में उन्होंने ऐसे बयान दिए जिससे ये संकेत मिलते रहे कि जब भी नीतीश मझधार में होंगे, आसानी से दोबारा ‘निकाह’ मुमकिन होगा.



आइए, जानते हैं ऐसे 5 मौके जब नीतीश-मोदी की जुगलबंदी दिखी


सर्जिकल स्ट्राइक पर नीतीश की मुहर


बीते साल 29 अक्टूबर को नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया. मोदी के इस फैसले पर देश ने खुशी का इजहार किया. विपक्ष की पार्टियां शुरू में खामोश रहीं, लेकिन दिन गुजरने के साथ ही मोदी सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने लगीं, लेकिन तब नीतीश कुमार ने मोदी का पूरा-पूरा साथ दिया. मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया.


नोटबंदी पर मोदी को मिला नीतीश का साथ


8 नंवबर की शाम जब नरेंद्र मोदी ने अचानक नोटबंदी का फैसला किया तो सभी विपक्षी पार्टियों ने पीएम के फैसले पर सवाल खड़े किए. नोटबंदी की वजह से बैंकों के बाहर लोगों की लंबी लंबी कतारें लगीं, जनता को खासी परेशानी झेलनी पड़ी. बैंकों से अपने पैसे निकालने और जमा करने के दौरान 75 से ज्यादा लोग मारे गए. पूरे देश में हाहाकार मचा था. लोग काफी परेशान थे. तब नीतीश कुमार ने खुलकर मोदी के फैसले का समर्थन किया और नोटबंदी को देश हित में बताया.


पटना में एक मंच पर मोदी-नीतीश


इसी साल जनवरी में पीएम नरेंद्र मोदी प्रकाश उत्सव के मौके पर पटना साहिब पहुंचे. जब प्रधानमंत्री किसी सूबे के दौरे पर हों तो वहां के मुख्यमंत्री का साथ होना और उनसे मिलना कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन जिस अंदाज़ में नीतीश पीएम मोदी के साथ पेश आए, दोनों में जो तारतम्यता दिखी, सहजता दिखी. नीतीश के इस मोदी प्रेम का नोटिस भी लिया गया. तब मोदी ने भी नीतीश की शराबबंदी के फैसले की जमकर तारीफ की थी.



जीएसटी- बेनामी सम्पत्ति कानून


जब जीएसटी के सवाल पर विपक्षी पार्टियां मोदी को घेरने में लगी थी, वो कांग्रेस भी मोदी सरकार से दूर भाग रही थी जिसने अपनी सरकार के दौरान जीएसटी से देश को रू-ब-रू कराया, तब नीतीश कुमार ने खुलकर मोदी सरकार के साथ खड़े होने का फैसला किया. इसी तरह बेनामी संपत्ति कानून के सवाल पर भी मोदी सरकार के साथ थे, बल्कि खुद ही इस कानून की मांग की.


राष्ट्रपति चुनाव में कोविंद का साथ


तेजस्वी एपिसोड के बीच जब बीजेपी ने बिहार के तत्कालीन गवर्नर रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश ने उनके समर्थन के एलान में थोड़ा भी वक़्त नहीं लिया. हालांकि, तब नीतीश ने ये भी कहा कि बिहार के गवर्नर को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया है और ऐसी स्थिति में उनका विरोध करना उनकी पार्टी के लिए मुमकिन नहीं है. शायद ऐसा करके नीतीश मोदी के करीब आने की अपनी आखिरी स्क्रिप्ट लिख रहे थे.


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