होली से पहले मोदी सरकार ने नौकरीपेशा लोगों को दिया झटका, ईपीएफ ब्याज़ दर में कटौती का फ़ैसला
2019 - 20 के लिए ईपीएफ ब्याज़ दर में 0.15 फ़ीसदी कटौती करने की सिफ़ारिश की गई है.
नई दिल्ली: नौकरीपेशा लोगों के लिए होली से पहले बुरी ख़बर आई है. ईपीएफ यानि कर्मचारी भविष्य निधि के खाताधारकों को उनके ईपीएफ खाता में जमा पैसों पर मिलने वाले ब्याज़ दर में कटौती करने का फ़ैसला किया गया है. 2019 - 20 के लिए ईपीएफ ब्याज़ दर में 0.15 फ़ीसदी कटौती करने की सिफ़ारिश की गई है. फैसले के मुताबिक़ इस साल के लिए ब्याज़ दर 8.50 फ़ीसदी दिया जाएगा. 2018 - 19 में ब्याज़ दर 8.65 फ़ीसदी था. पिछले सात सालों में ये ईपीएफ पर मिलने वाला सबसे कम ब्याज़ दर है. इससे पहले 2012 - 13 में ब्याज़ की दर 8.50 फ़ीसदी तय की गई थी. जबकि 2015 - 16 में ये ब्याज़ दर 8.80 फ़ीसदी के सर्वाधिक स्तर पर तय की गई थी. देश में फ़िलहाल क़रीब 6 करोड़ ईपीएफ खाताधारक हैं जिनमें ज़्यादातर प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोग हैं.
ट्रस्टी बोर्ड में लिया गया फ़ैसला
ब्याज़ दर में कटौती का फ़ैसला गुरुवार को ईपीएफ ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में लिया गया. बैठक की अध्यक्षता श्रम मंत्री सन्तोष गंगवार ने की जिसमें सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा मज़दूर संगठनों के प्रतिनिधि भी सदस्य होते हैं. बोर्ड की सिफ़ारिश पर वित्त मंत्रालय की मंज़ूरी मिलने के बाद नई दर लागू हो जाएगी. सूत्रों के मुताबिक़ ब्याज़ दर में कटौती की प्रमुख वजह रही है ईपीएफओ यानि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा किए गए निवेश पर रिटर्न में कमी. ईपीएफओ अपने पैसों का 85 फ़ीसदी निवेश बॉन्ड मार्केट में जबकि 15 फ़ीसदी रक़म इक्विटी में निवेश करता है. यही संगठन ईपीएफ खातों और उनमें जमा पैसों की निगरानी करता है.
2015 - 16 में 8.80 फ़ीसदी मिला था ब्याज़
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के करीब छह करोड़ खाताधारक या अंशधारक हैं. ईपीएफओ ने इससे पहले अपने खाताधारकों को 2016-17 में 8.65 प्रतिशत और 2017-18 में 8.55 प्रतिशत ब्याज दिया था. वित्त वर्ष 2015-16 में इस पर 8.8 प्रतिशत का ऊंचा ब्याज दिया गया था. इससे पहले 2013-14 और 2014-15 में ईपीएफ पर 8.75 प्रतिशत का ब्याज दिया गया था.